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'जातीय सर्वे रिपोर्ट में धानुक समाज का आंकड़ा गलत', उत्तर प्रदेश से आए समाजसेवी ने लोगों को किया गोलबंद - Bihar News

Nalanda News: बिहार के नालंदा में धानुक समाज ने जातीय सर्वे रिपोर्ट को गलत बताया. समाज के नेताओं का आरोप है कि उनकी जनसंख्या को कम बताया गया है कि जबकि इनकी आबादी 10-12% है. पढ़ें पूरी खबर...

नालंदा में धानुक महासम्मेलन
नालंदा में धानुक महासम्मेलन

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 5, 2023, 6:41 PM IST

उत्तर प्रदेश के समाजसेवी धर्मेंद्र कठेरिया

नालंदाः बिहार में जातीय सर्वे रिपोर्ट का लगातार विरोध किया जा रहा है. इसी को लेकर नालंदा में धानुक समाज का महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें जातीय गणना से नाखुश धानुक समाज के लोगों ने बिहार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला. बिहार सीएम नीतीश के गृहजिला से इसकी शुरुआत हो गई है. धानुक समाज के लोगों ने बिहारशरीफ के आईएमए हॉल में महासम्मेलन का आयोजन किया.

नालंदा में धानुक महासम्मेलन

आंकड़ा कम करने का आरोपः इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के समाज सेवी धर्मेंद्र कठेरिया शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे समाज का प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा रहा है और संख्या को कम आंका गया है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके समाज को दूसरे समाज में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा जो गलत है. उन्होंने दावा किया कि उनकी आबादी 10 से 12% है.

नालंदा में धानुक महासम्मेलन

"बिहार सरकार के द्वारा हमारे समाज का प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा रहा है. हमारे समाज को दूसरे समाज में शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है. हमलोग बहुसंख्यक हैं, लेकिन हमारी गिनती कम की जा रही है. हमारी आबादी बिहार में 10 से 12 % है, फिर भी 2% आंका जा रहा है, जो ठीक नहीं है. हमलोग धानुक समाज के लोगों को जगाने का काम कर रहे हैं."-धर्मेंद्र कठेरिया, समाजसेवी, उत्तर प्रदेश

नालंदा में धानुक महासम्मेलन

धानुक समाज के लोगों की जुटी भीड़ः कठेरिया ने कहा कि अन्य राज्य में उनकी जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया गया है. मगर बिहार में अतिपिछड़ा जाति का दर्जा दिया गया है. यही कारण है कि धानुक समाज सम्मेलन के माध्यम से सरकार को यह दिखाना चाहते हैं कि उनकी आबादी कितनी है. कठेरिया ने कहा कि हमलोग समाज के उत्थान के लिए आगे भी लड़ाई लड़ेंगे. महासम्मेलन में नालंदा के कोने कोने से धानुक समाज के लोग पहुंचे. इतनी भीड़ जुटी कि बाहर कुर्सी लगाना पड़ा.

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