नालंदा: बिहार के नालंदा में ठंडका प्रकोप जारी है. खासकर, गरीब तबके पर इसका ज्याद असर पड़ रहा है. अबतक नालंदा में तीन लोगों की ठंड से मौत (Death due to cold in Nalanda) हो चुकी है. ताजा मामला सिलाव थाना क्षेत्र का है. एक युवक को यहां ठंड से बुरी तरह परेशान हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया. युवक की गंभीर हालत तदेख उसे बिहार शरीफ अस्पताल ले जाने को कहा गया. जैसे ही परिजन उसे वहां ले जाने के लिए बाहर निकले, गेट पर ही उसकी मौत हो गई. युवक की पहचान गणेश बगीचा के रहने वाले सुनील मांझी के रूप में की गई.
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ठंड से जनजीवन प्रभावितः ठिठुरन के साथ शीतलहर ने आम जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है. नालंदा में सर्दी का सितम लगातार जारी है. जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है और जन जीवन बुरी तरह प्रभावित हुई है. इसी कड़ी में गुरुवार को सिलाव अस्पताल में इलाज के दौरान एक व्यक्ति की ठंड से मौत हो गई. इसके बाद अस्पताल परिसर में परिवार वालों का रो रोकर बुरा हाल है. ज़िले में अब तक अलग अलग थाना क्षेत्रों में 3 लोगों की मौत हो चुकी है. यहां तापमान में लगातार गिरावट देखी जा रही है और शाम ढलते ही टेंपरेचर 7°C तक पहुंच जाता है और दोपहर तक घने कोहरे की चादर से ढका होता है
सोनपुर में मजदूरी के दौरान लगी ठंडः मृतक के परिवार वालों ने बताया कि सिलाव थाना क्षेत्र के गणेश बगीचा निवासी सुनील मांझी मजदूरी करने के लिए सोनपुर गया था. वहां अचानक परिवार वालों को फोन कर बताया गया कि इसे ठंड लग गई है. उसके बाद परिवार के सदस्यों ने सोनपुर से उसे एक ऑटो रिजर्व कर इलाज के लिए घर लाया. उसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिलाव में भर्ती कराया गया. जहां प्राथमिक उपचार के बाद इसे बेहतर इलाज के लिए बिहार शरीफ सदर अस्पताल रेफर किया गया. लेकिन अस्पताल के गेट से बाहर निकलते ही सुनील मांझी ने दम तोड़ दिया.
सरकार की ओर से नहीं मिला कंबलः मृतक की मां ने बताया कि हमलोग गरीब परिवार से आते हैं और इनके पास कोई भी धंधा रोजगार नहीं है. इस कारण से ईंट भट्टे पर काम करते हैं. इस बार ना तो सरकार की ओर से कंबल उपलब्ध नहीं कराया गया और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि के द्वारा कुछ राहत सामग्री दी गई. इस कारण हम लोग पूरा परिवार ठिठुर कर रात बिताते हैं. यही कारण है कि सुनील को ठंड लगने के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई है.
" हमलोग गरीब परिवार से आते हैं और इनके पास कोई भी धंधा रोजगार नहीं है. इस कारण से ईंट भट्टे पर काम करते हैं. इस बार ना तो सरकार की ओर से कंबल उपलब्ध नहीं कराया गया और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि के द्वारा कुछ राहत सामग्री दी गई. इस कारण हम लोग पूरा परिवार ठिठुर कर रात बिताते हैं" - मृतक की मां