नालंदा: बिहार के नालंदा में आशा फेसिलेटर पर गंभीर आरोप लगे हैं. आशा फेसिलेटर पर आरोप है कि प्रसव पीड़िता के परिवार से 5 हजार रुपए ठगकर फरार हो गई. जब उसे ढूंढा जाने लगा तो नहीं मिली. उसने बेहत इलाज के एवज में इस रकम की डिमांड की थी. परिजनों के मुताबिक आशा फेसिलेटर का नाम प्रीति है.
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आशाकर्मी पर गंभीर आरोप: पीड़ित प्रसूता का पति वार्ड नंबर 26 में सफाई कर्मी है. अपनी पत्नी को लेकर वो बिहारशरीफ सदर अस्पताल पहुंचा था. वहां उसे प्रीति नाम की आशाकर्मी मिली. उसने बेहतर डिलीवरी कराने के एवज में रकम की डिमांड की. पहले प्रसूता का अल्ट्रासाउंड कराया. रिपोर्ट को दिखाकर उसने हीमोग्लोबीन की कमी बताकर उससे 6 हजार रुपए की डिमांड किया. जितेन्द्र के पास जेब में 3000 रुपए ही थी. उसने 3000 रुपए देते हुए 2 हजार रुपए लाने की बात कहकर घर गया. वहां से रुपए लेकर आया और 2 हजार रुपए दे दिया.
"मुझसे कहा गया कि तुम्हारी बीवी को खून की कमी है. मुझे 6 हजार रुपए चाहिए नहीं तो बच्चा हाथ से निकल जाएगा. मैं रात में गया पैसा लेकर आया और उसे दिया लेकिन तब तक बच्चा हो चुका था. तीन हजार रुपए पहले दिए थे और दो हजार रुपए घर से लाकर दिए. कुल 5 हजार रुपए दिए." - जितेन्द्र, प्रसूता का पति
प्रसव के नाम पर 5000 रुपए की ठगी : उस वक्त तक महिला की डिलीवरी हो चुका था. जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ्य थे. वो ये देखकर प्रीति को ढूंढने के लिए निकला लेकिन नहीं मिली. थक हारकर जितेन्द्र ने सदर अस्पताल के डीएस डॉ अशोक कुमार से इसकी शिकायत की. डीएस से उसने पूरा घटान क्रम कह सुनाया. वहां पता चला कि इस तरह के मामले में वह पहले ही हटाई जा चुकी थी.
नालंदा में मिशन 60 का हाल : इस केस में डॉ अशोक कुमार ने बताया कि ''इसकी जानकारी मुझे अभी नहीं है. मुझे आपके माध्यम से शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी.'' वहीं अस्पताल में ब्लड बैंक में पूछताछ की गई तो पता चला कि कल शाम 5 बजे के बाद एक भी यूनिट खून नहीं गया है. मिशन 60 और क्वालिटी के तहत नालंदा सदर अस्पताल की सूरत तो बदल दी गई लेकिन सीरत जस की तस है.