नालंदा:कॉम्फेड ने नीरा प्लांट के कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया है. लॉकडाउन की इस घड़ी में कर्मचारियों के सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. वे दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं. उनके सामने रहने-खाने का संकट आन पड़ा है.
दरअसल, बिहारशरीफ के बाजार समिति में स्थित नीरा प्लांट में कार्यरत कर्मचारियों को हटाए जाने का निर्देश आया है. जिसके बाद कर्मचारियों में काफी मायूसी देखी जा रही है. लॉकडाउन के दौरान नीरा प्लांट में उत्पादन नहीं होने पर यहां सैनिटाइजर बॉटलिंग का काम किया जा रहा था. ताकि, कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोका जा सके.
करोड़ों की लागत से हुई थी स्थापना
सालों पहले करोड़ों रुपये खर्च करके बिहारशरीफ के बाजार समिति में नीरा प्लांट की स्थापना की गई थी. लेकिन, बीते 4 वर्षों से इस प्लांट की उपयोगिता पर सवाल खड़े होने लगे. अब तक इस प्लांट में नीरा का सही तरीके से उत्पादन नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं यहां काम करने वाले कर्मचारियों से भी सीजन के अनुसार काम लिया जाता है. सीजन खत्म हो जाने के बाद कर्मियों को काम से हटा दिया जाता है.
बिना सैलरी के लिया जा रहा काम
नीरा प्लांट में काम कर रहे करीब 15 कर्मचारियों को कॉम्फेड ने हटाने का निर्देश जारी किया है. कर्मचारियों का कहना है कि उन लोगों से 16 मार्च से ड्यूटी ली जा रही थी. महज डेढ़ माह में ही उन लोगों को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया. इतना ही नहीं उन लोगों को अब तक कुछ भी राशि नहीं दी गई है. इन कर्मचारियों में नालंदा के अलावा आसपास के जिला के भी लोग शामिल हैं. अचानक हटाए जाने के आदेश के बाद कर्मचारियों के सामने अपने-अपने घर लौटने को लेकर अन्य समस्याएं खड़ी हो गई हैं.
कंपनी से हटाए जाने के बाद परेशान कर्मचारी लॉकडाउन के कारण नहीं जा सकते घर
मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण वे अपने-अपने घर वापस नहीं लौट सकते हैं. ऐसे में अगर वे यहां रहेंगे तो उन लोगों को घर का किराया भी देना पड़ेगा. नीरा प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि एक ओर सरकार रोजगार सृजन की बात कहती है और वहीं दूसरी ओर उन लोगों को नौकरी से हटाने का काम किया जा रहा है. कर्मचारियों ने नालंदा के जिलाधिकारी और बिहार के मुख्यमंत्री से कॉम्फेड के निर्णय को वापस लेने की मांग की है.