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नीतीश के नालंदा में 8 सालों से झोपड़ी में चल रहा स्कूल, बच्चे हैं बेहाल

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Published : May 27, 2022, 3:28 PM IST

बिहार की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था (Primary Education In Bihar) का हाल किसी से छुपा नहीं है, हाल ही में बिहार के एक छोटे से बच्चे सोनू कुमार ने सीएम नीतीश के सामने इसकी पोल खोल कर रख दी थी. जिसके बाद बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल उठे थे. सोनू द्वारा सरकारी स्कूलों पर उठाए गए सवालों की तस्दीक करते नालंदा के इस स्कूल का हाल देखिये....

बुल्ला बीघा गांव
बुल्ला बीघा गांव

नालंदाःबिहार के सरकारी स्कूलों का हाल बेहद खराब है, पढ़ाई की बात तो छोड़िये यहां विद्यालय भवन तक बच्चों को नसीब नहीं होता. सरकारी स्कूलों के बच्चे अक्सर पेड़ के नीचे, मंदिरों में, पंचायत भवन में या फिर किसी सड़क किनारे पढ़ाई करते नजर आ जाएंगे. एक बार फिर बिहार के नालंदा में 8 सालों से झोपड़ी (Primary School Operating In hut for 8 Years in Nalanda) में संचालित हो रहे एक स्कूल का वीडियो तेजी से वायरल हुआ है, ये वीडियो बिहार के मुखिया नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के वेन प्रखंड नोहसा पंचायत के प्राथमिक विद्यालय बुल्ला बिगहा (Bulla Bigha Primary School) का है. जिसके बाद जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आया.

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8 साल से चल रहा झोपड़ीनुमा स्कूलःइन दिनों नालंदा जिला शिक्षा व्यवस्था, उसके इंफ्रास्ट्रक्चर और गुणवत्ता को लेकर काफ़ी सुर्खियों में है. बिहार में पढ़ाई को लेकर सोनू का वायरल वीडियो अभी लोगों के जेहन से गया भी नहीं था कि नालंदा में शिक्षा की पोल खेलता एक और वीडियो वायरल हो गया. जिसमें देखा जा सकता है कैसे बच्चे 8 साल से इस झोपड़ीनुमा स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. ये हाल बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवन कुमार के गृह क्षेत्र बेन प्रखंड के नोहसा पंचायत के प्राथमिक स्कूल बुल्ला बिगहा का है.

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स्कूल में पढ़ते हैं 70 से ज्यादा बच्चेः बताया जाता है कि इस स्कूल के भवन के लिए जमीन आवंटित की गई है, लेकिन अभी तक स्कूल बनाने का काम शुरू नहीं हुआ. किसी तरह एक झोपड़ी बनाकर बच्चों की पढ़ाई कराई पूरी की जा रही है. सूत्रों की माने तो इस स्कूल में 70 बच्चे से भी ज्यादा हैं. लेकिन भवन के अभाव में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं. वहीं बच्चे शौचालय के लिए खेत में जाते हैं और पानी पिने के लिए गांव के हैंडपंप का इस्तेमाल करते हैं. स्कूल में सिर्फ दो ही शिक्षक हैं. झोपड़ी में पढ़ाई के दौरान अगर बारिश होने लगे तो झोपड़ी की स्थिति खराब हो जाती है.

'8 साल से बच्चे इसी तरह पढ़ रहे हैं. काफी दिक्कत होती है, कोई देखने आज तक नहीं आया. जाड़ा बरसात में बच्चे बहुत परेशान होते हैं, स्कूल की अपनी जमीन है लेकिन सरकार ने आज तक नहीं बनवाया. किसी तरह बच्चों को बैठा कर पढ़ाई करवाई जाती है'- रसोइया

'सालों से इस स्कूल को ऐसे ही चलते देख रहे हैं, बरसात में तो पानी पड़ने पर बच्चे इधर-उधर भागने लगते हैं. हालत बदतर हो जाती है. कई बार तो बच्चे गिरकर घायल तक हो जाते हैं. पानी पीने तक के लिए तरस जाते हैं. पानी के लिए भी दूर जाना पड़ता है. शौचालय तक नहीं है. कभी कोई अधिकारी देखने तक नहीं आते'- स्थानीय ग्रामीण

आनन-फानन में डीईओ ने लिया फैसलाःउधर वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. आनन-फानन में जिला शिक्षा पदाधिकारी केशव प्रसाद ने लेटर जारी कर बताया कि नव प्राथमिक विद्यालय बुल्ला बिगहा का अपना भावन नहीं रहने के कारण अब अगले आदेश तक इसे उत्क्रमित मध्य विद्यालय अमिया में सिफ्ट किया जाता है. अब पठन पाठन का कार्य यहीं किया जाएगा. अब नालंदा के इस प्राथमिक विद्यालय को देखकर यही कहा जा सकता है कि पुरे विश्व को ज्ञान देने वाली नालंदा की धरती आज भी इस झोपड़ी से ज्ञान बाटने में लगी है.

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