नालंदा: लॉकडाउन शुरू हुए 50 दिन से ज्यादा हो गये, लेकिन अभी भी प्रवासी मजदूरों का बिहार पहुंचना जारी है. ये सभी प्रवासी अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से राज्य पहुंच रहे हैं. बहुत से मजदूर ऐसे हैं जो मई महीने की इस चिलचिलाती धूप में हजारों किलोमीटर पैदल चलकर ही बिहार पहुंच रहे हैं.
नहीं मिली सरकार से मदद तो घर पहुंचने के लिए 4 दिन से पैदल ही चल रहे हैं ये मजदूर
24 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद सभी ने पीएम मोदी की अपील मानी. जो जहां थे वहीं रहे, लेकिन लॉकडाउन 2 शुरू होने के बाद से मजदूरों के आने का सिलसिला शुरू हुआ.
ये सभी मजदूर बेबस हैं. सरकारें इन्हें सहूलियत देने का लाख दावा कर ले, लेकिन मजदूरों की हालत देखकर सच्चाई का अंदाजा लगाया जा सकता है. आज सरमेरा बिहटा फोरलेन पर रहुई के पास रांची से पैदल आ रहे 7 मजदूर चिलचिलाती धूप में पैदल चलते नजर आए. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब उनसे पूछा तो मजदूरों ने बताया कि हमें झारखंड में भी कोई सुनने वाला नहीं था. हमारे पास जो भी पैसे थे, उसी से किसी तरह हम लोग यहां तक पहुंच पाये हैं.
मजदूरों का आना लगातार जारी
मजदूरों ने बताया कि वे रांची से 3 दिन में पैदल चलकर नालंदा पहुंचे और यहां से इन मजदूरों का जत्था मधेपुरा की ओर जाएगा, जो नालंदा से 150 किलोमीटर दूर हैं. 24 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद सभी ने पीएम मोदी की अपील मानी. जो जहां थे वहीं रहे, लेकिन लॉकडाउन 2 शुरू होने के बाद से मजदूरों के आने का सिलसिला शुरू हुआ. ये सिलसिला अभी तक जारी है. बेबस मजदूर अलग-अलग साधनों से अपने घर जाने की जद्दोजहद में लगे हैं.