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Sawan 2023: भगवान शिव का ऐसा मंदिर जहां सावन में बंद रहता पट, जानें क्या है मान्यता - धनेश्वर नाथ मंदिर

सावन महीना भगवान शिव का प्रिय है. इस महीने मंदिरों में जलाभिषेक के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बिहार में एक ऐसा मंदिर है, जहां सावन के महीने में मंदिर का पट बंद रहता है. क्योंकि यहां भक्त जलाभिषेक नहीं कर पाते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 17, 2023, 11:59 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार का ऐसा शिव मंदिर जिसका सावन में पट बंद रहता है. मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के धनोरा गांव में यह मंदिर स्थित है. यहां अन्य दिनों तो भक्त भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन शिव के प्रिय सावन में पट बंद रहता है, क्योंकि यहां भक्त नहीं बल्कि बागमती नदी खुद जलाभिषेक करती है.

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बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर

मुजफ्फरपुर का शिव मंदिरः कटरा प्रखंड के धनोरा गांव में स्थित बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर की काफी मान्यता है. यहां आसपास के क्षेत्रों, जिलों के अलावा नेपाल से श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं, लेकिन सावन में कोई नहीं आते. इसके बारे में मंदिर के पुजारी शंकर कुमार उर्फ दानी ने बताया कि यह मंदिर बहुत पुरानी है. दानी बचपन से इस मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं.

बाढ़ में डूब जाता है मंदिरः उन्होंने बताया कि शिवलिंग को एक बार नदी से बाहर स्थापित करने की कोशिश की गई थी, लेकिन शिवलिंग का अंतिम छोर का कोई पता ही नहीं चल पाया. उन्होंने कहा कि पहले यह काफी मंदिर छोटा था, लेकिन फिर स्थानीय लोगों की मदद से फिर बड़ा बनाया गया. सावन के महीने में नदी में बाढ़ आने से मंदिर परिसर में पानी आ जाता है.

''यहां भगवान शिव छह महीने जल शयन में रहते हैं और मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है. भक्तों को यहां आने के लिए नाव ही सहारा है. पानी कम होने के बाद लोग यहां चचरी पुल के सहारे भी पहुंचते हैं. यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.'' -शंकर कुमार, मंदिर के पुजारी

बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर

शिव की कृपा से मंदिर सुरक्षितःमंदिर के बारे में स्थानीय अमित शर्मा ने कहा कि नदी में आए बाढ़ के कारण हर साल तबाही मचाती है. सड़क, पुल, घर सब बाढ़ में बह जाते हैं, लेकिन आज तक इस मंदिर को कुछ नहीं हुआ. हर साल मंदिर का आधा हिस्सा बाढ़ में डूबा रहता है, लेकिन भगवान शिव की कृपा से मंदिर सुरक्षित है.

"बाढ़ के कारण हर साल सड़क पुल, पुलिया और झोपड़ियां बह जाती हैं. आज तक इस मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. हर साल मंदिर का आधा हिस्सा बाढ़ में डूबा रहता है, लेकिन मंदिर को कुछ नहीं होता है. इतने दिनों तक भक्त नहीं आते हैं."-अमित शर्मा, स्थानीय

बागमती नदी करती जलाभिषेकः स्थानीय दीपक मंडल ने बताया कि बागमती नदी के बाहर पेटी में यह मंदिर स्थित है. यही कारण है कि 6 महीने नदी में पानी नहीं होता है. श्रद्धालु चचरी पुल के जरिए मंदिर आकर पूजा अर्चना करते हैं. जब बाढ़ आता है तो मंदिर परिसर में पानी भर जाता है. बागमती नदी खुद भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए आती है. शिवलिंग के ऊपर 10 फीट पानी रहता है.

''यह मंदिर बागमती के बाहरी पेटी में स्थित है, इस कारण छह महीने यहां बागमती का पानी नहीं होता है और भक्त चचरी पुल के जरिए भी आते हैं. सावन में नदी खुद जलाभिषेक करती है.''- दीपक मंडल, निवासी, धनोरा गांव

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