मुजफ्फरपुर: पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र के निधन के बाद से पूरा बिहार शोक में डूबा है. जिले के जगन्नाथ मिश्र महाविद्यालय के सभी शिक्षकों ने मिश्र के निधन पर शोक प्रकट किया. साथ ही शिक्षकों ने उन्हें याद कर भावनात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके निधन पर दुख जताया.
डॉ. विनोद कुमार चौधरी, प्राचार्य 'प्रोफेसर के रुप से प्रचलित थे जगन्नाथ मिश्र'
शिक्षक खुर्शीद अनवर ने कहा कि उनकी मुलाकात जगन्नाथ मिश्र से इसी महाविद्यालय में हुई थी. वह राजनीति में रुची रखने वाले इंसान थे. उन्होंने बताया कि यहां वे प्रोफेसर के रुप में प्रचलित थे. उनके जाने से बिहार को अपूरणीय क्षति हुई है.
जगन्नाथ मिश्र ने देश को दिया नया आयाम
महाविद्यालय के शिक्षक पंकज कर्ण का कहना है कि जगन्नाथ मिश्र के प्रोफेसर से लेकर सीएम तक के सफर में ही बिहार में उर्दू को दूसरी भाषा के रुप में लागू किया. उन्होंने कहा कि जगन्नाथ मिश्र की मृत्यु से पूरा परिवार सदमे में है.
प्रोफेसर से मुख्यमंत्री तक का सफर
डॉ. जगन्नाथ मिश्रा का जन्म 1937 में सुपौल जिले के बलुआ बाजार में हुआ था. पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा ने प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया था. वो बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने. डॉ. मिश्रा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. डॉ. मिश्रा विश्वविद्याल में पढ़ाने के दौरान ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए. 1975 में वो पहली बार मुख्यमंत्री बने. दूसरी बार उन्हें 1980 में कमान सौंपी गई और आखिरी बार 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. 82 साल की उम्र में जगन्नाथ मिश्रा ने दिल्ली में आखिरी सांस ली. उनके निधन के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारों में सन्नाटा पसर गया है.