मुजफ्फरपुर: उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर समेत कई इलाकों में फैला बच्चों के दिमाग में होने वाला बुखार आज भी पहेली बना हुआ है. चमकी या एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के नाम से जाना जा रहा ये बुखार अब तक 173 बच्चों की सांसे थाम चुका है. वहीं, एसकेएमसीएच हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. सुनील शाही ने इस बीमारी पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि इसका लीची से कोई कनेक्शन नहीं है.
अधीक्षक ने कहा ये तो शोध का विषय है. इसके लिए रिसर्च होनी चाहिए. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में 22वें दिन शुक्रवार को भी एईएस पीड़ित मरीजों का आने की सिलसिला जारी रहा. वहीं तीन बच्चों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. एईएस पीड़ित बच्चों की इलाज के लिए दिल्ली और पटना के साथ डीएमसीएच के डॉक्टरों की टीम एसकेएमसीएच में कैम्प कर रही है.
मिली हैं अतिरिक्त एम्बुलेंस- अधीक्षक
अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि मरीजों की संख्या को देखते हुए राज्य और केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त एम्बुलेंस भेजा गयी हैं. अधीक्षक के मुताबिक इस बुखार पर रिसर्च के बाद ही मुख्य कारण का पता चल पाएगा. फिलहाल, इसका लीची से कोई संबंध नहीं है.
चमकी बुखार से कौन होता है प्रभावित
एईएस आम तौर पर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है. यह बीमारी बिहार, उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र, पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बच्चों को अपना निशाना बनाती रही है.
चमकी बुखार के लक्षण
- अत्यधिक बुखार, उल्टी, सिर में दर्द, रोशनी में चिड़चिड़ापन
- गर्दन और पीठ में दर्द
- उबकाई और व्यवहार में परिवर्तन
- बोलने एवं सुनने में परेशानी
- बुरे सपने, सुस्ती और याददाश्त कमजोर होना
- गंभीर हालत में लकवा मार जाना और कोमा की स्थिति
एईएस का इलाज
- एईएस से पीड़ित बच्चों को बिना देरी किए अस्पताल ले जाना चाहिए.
- तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें.
- बेहोशी आने पर बच्चों को हवादार जगह पर ले जाएं.
- बच्चों के शरीर में पानी की कमी न होने दें उन्हें ओआरएस का घोल पिलाते रहें.
- कोशिश होनी चाहिए कि बच्चे का इलाज आईसीयू में हो.
- मस्तिष्क में सूजन को फैलने से रोकने के लिए बच्चे की बराबर निगरानी होती रहनी चाहिए.
- डॉक्टर को बच्चे का ब्लड प्रेशर, हर्ट रेट, सांस की जांच करते रहना चाहिए.
- कुछ इंसेफेलाइटिस का इलाज एंटीवायरल दवाओं से किया जा सकता है.