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मुजफ्फरपुर अंखफोड़वा कांड: बोले राजद विधायक- 'सरकार पीड़ितों को तुरंत दे मुआवजा'

सरकार बताए कि गरीबों के आंखों का इलाज मुजफ्फरपुर के किस अस्पताल में होता है. मुजफ्फरपुर आंख कांड (Muzaffarpur Eye Hospital Case) ने साबित कर दिया है कि, सरकारी तंत्र गरीबों के लिए व्यवस्थाएं करने में पूरी तरह से फेल है. राजद विधायक इसराइल मंसूरी ने सरकार पर निशाना साधते हुए पीड़ितों के मुआवजे की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Dec 8, 2021, 2:29 PM IST

Updated : Dec 8, 2021, 3:21 PM IST

Muzaffarpur Eye Hospital CaseMuzaffarpur Eye Hospital Case
Muzaffarpur Eye Hospital Case

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटलमें 22 नवंबर को 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया. लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही के कारण 16 लोगों की आंखें ( 16 people Lost Eyes in Muzaffarpur ) निकालनी पड़ी और पटना आईजीआईएमएस में 9 का अब भी इलाज चल रहा है. इस मामले को लेकर राजद के कांटी विधानसभा से विधायक इसराइल मंसूरी (Israel Mansoori Demands Compensation For Patients) ने सरकार पर निशाना साधा है और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की है.

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राजद के कांटी विधानसभा से विधायक इसराइल मंसूरी ने कहा कि, सरकार को इसपर जवाबदेही तय करनी चाहिए. सरकार बता दे कि, मुजफ्फरपुर में गरीबों के आंख के इलाज के लिए कौन-सा अस्पताल है और कहां इलाज किया जाता है.

मुजफ्फरपुर अंखफोड़वा कांड में मुआवजे की मांग

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"एसकेएमसीएच हो या सदर अस्पताल कहीं भी आंखों का इलाज नहीं होता है. अगर कोई गरीब आंख का इलाज कराने निजी अस्पताल जाए तो, यह सरकार की खामी है. गरीबों ने अपनी आंखें खोई है. उनका जीवन खत्म हो गया है. जो लोग मजदूरी करते थे, कहीं कोई काम करते थे, अब बिना आंख के कुछ नहीं हो सकता है. सरकार को तमाम आंख गंवाने वाले व्यक्तियों को मुआवजा देना चाहिए."-इसराइल मंसूरी,राजद विधायक

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विधायक इसराइल मंसूरी ने कहा कि, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे किसी काम के नहीं है. वे सिर्फ विकास का ढोल पीटते हैं. लेकिन मंत्री जी को जो पिछले दरवाजे से माल पहुंचा देता है, उन्हीं के बात करते हैं. पूरे प्रकरण में पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए. गहन जांच होनी चाहिए और इसकी पूरी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के मंत्री और सरकार को उठानी चाहिए.

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बता दें कि बीते 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद ऑपरेशन कैंप लगाया गया था. इस शिविर में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि, ऑपरेशन का एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि, उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने जब इसकी शिकायत आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही. डॉक्टरों ने आंखें निकलवाने की सलाह दी. डॉक्टरों ने कहा कि, अगर आंख नहीं निकाली गई तो, दूसरा आंख भी खोना पड़ेगा. 16 लोगों की आंखें निकाल दी गईं. अब भी 9 लोग पटना में इलाजरत है.

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6 दिसंबर को इस मामले की फाइनल जांच रिपोर्ट सामने आई. जांच में ओटी में दो तरह के बैक्टीरिया (Two Types Of Bacteria Found In OT) मिलने की बात सामने आई. सीएस ने बताया कि 'आई हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर में सुडोमोनास और स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया पाया गया है. यह काफी खतरनाक बैक्टीरिया होता है. एक से दो दिन में ही यह आंख खराब कर देता है. एसकेएमसीएच में जिन लोगों की आंख निकाली गयी, उनमें भी यह बैक्टीरिया पाया गया है.'

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Last Updated : Dec 8, 2021, 3:21 PM IST

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