मुजफ्फरपुर:कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) की आशंका के बीच मुजफ्फरपुर के सभी प्रखंडों में वायरल बुखार (Viral Fever) और पीलिया (Jaundice) का कहर शुरू हो गया है. पीड़ितों में बच्चों की संख्या अधिक है. एसकेएमसीएच के ओपीडी में इन बीमारियों से ग्रसित लगभग ढाई हजार मरीज अब तक पहुंच चुके हैं.
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मुजफ्फरपुर और उससे लगे दूसरे जिलों में तेजी से मौसमी बीमारियों का फैलाव हो रहा है. तेज धूप और बरसात का जनजीवन पर असर पड़ रहा है. इससे हर उम्र के लोग प्रभावित हो रहे हैं. लेकिन इसका असर विशेष रूप से छोटे बच्चों पर ज्यादा दिख रहा है.
यही वजह है कि मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच मेडिकल कालेज अस्पताल के ओपीडी में सोमवार से विभिन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में अचानक बहुत तेजी आई है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ बीएस झा की माने तो अभी सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. सबसे अधिक भीड़ मेडिसिन विभाग के ओपीडी में है. जहां वायरल बुखार, सर्दी खांसी, उल्टी दस्त और पीलिया से जुड़े मामले अधिक आ रहे हैं.
एसकेएमसीएच के अधीक्षक की माने तो मौसम में आये बदलाव और बारिश की वजह से लोग ज्यादा बीमार पड़ रहे हैं. जो मरीज आ रहे हैं उनमें बुखार, खांसी, शरीर में एठन सामान्य है.
उमस गर्मी में लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं. जलजमाव बाढ़ से लोग प्रभावित हुए हैं. ढाई हजार के करीब मरीज ओपीडी में हैं.-डॉ बीएस झा,
अधीक्षक, एसकेएमसीएच
बता दें कि बिहार में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. इस मौसम में ह्यूमिडिटी बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर भी हो रही है. बच्चों के अलावा वयस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में सीवियर मामले बढ़ रहे हैं. वातावरण में ह्यूमिडिटी होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा ए बी सी डी जितने भी वायरस है, वो ज्यादा एक्टिव रहते हैं.
ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना का है. कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि हैंड हाइजीन, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी काफी कारगर है. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं, क्योंकि ऐसे केस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.
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