मुजफ्फरपुर: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के बीच अब चमकी बुखार ने पैर पसारना शुरू कर दिया है. सीतामढ़ी की छह वर्षीय प्रियांशी को चमकी की शिकायत पर पीकू वार्ड में भर्ती किया गया. अब तक चमकी के 17 मामले सामने आए हैं.
इसे भी पढ़ें:SKMCH का मंत्री मुकेश सहनी ने किया निरीक्षण, कहा- अब CCTV की निगरानी में कोरोना मरीजों का होगा इलाज
गर्मी के बढ़ते ही शुरू हुआ चमकी बुखार
कोरोना के बीच मुज़फ़्फ़रपुर में चमकी बुखार से जुड़े मामले भी लगातार सामने आ रहे है. गर्मी का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे चमकी बुखार से बच्चे पीड़ित हो रहे हैं. ताजा मामला सीतामढ़ी से सामने आया है जहा बेलसंड की रहने वाली छह वर्षीय प्रियांशी कुमारी को चमकी बुखार की शिकायत के बाद शुक्रवार देर रात SKMCH के पीकू वार्ड में भर्ती कराया गया है. जहा जांच के क्रम में AES की पुष्टि हो चुकी है.
SKMCH में चमकी बुखार का एक और मामला इसे भी पढ़ें:कोरोना के बीच चमकी बुखार ने पकड़ा जोर, चार बच्चे SKMCH में भर्ती
इसे भी पढ़ें:मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का लौटा कहर, 12 वर्षीय बच्चे की मौत
तीन बच्चों की हो चुकी है मौत
SKMCH प्रशासन के ताजा अपडेट के अनुसार बुधवार कोचमकी बुखार के लक्षणवाले एक बच्चे को पीकू वार्ड में भर्ती किया गया है. जिसमें AES की पुष्टि की गई है. इसके साथ ही अब AES का आंकड़ा 17 पर पहुंच गया है. इस वर्ष अब तक 17 बच्चों में AES पुष्टि हो चुकी है. अभी तक इस साल तीन बच्चे जान गंवा चुके हैं.
2019 में 200 बच्चों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि SKMCH में 2019 में चमकी बुखार का कहर देखने को मिला था. इस अस्पताल में 120 से अधिक बच्चों की मौत चमकी से हुई थी. पूरे बिहार में इस बीमारी की वजह से 200 बच्चों की मौत हुई थी. चमकी बुखार से पीड़ित रोगियों के लिए SKMCH में 72 करोड़ से अधिक की लागत से 100 बेड का पीकू (शिशु गहन चिकित्सा यूनिट) और 60 बेड का इंसेफ्लाइटिस वार्ड तैयार कर लिया गया है.
क्या है चमकी बुखार?
एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को बोलचाल की भाषा में लोग चमकी बुखार कहते हैं. इस संक्रमण से ग्रस्त रोगी का शरीर अचानक सख्त हो जाता है और मस्तिष्क और शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है. आम भाषा में इसी ऐंठन को चमकी कहा जाता है.