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चुनाव बहिष्कार का ग्रामीणों ने बनाया मन, चचरी पुल पर नहीं दौड़ेगी नेताओं की 'आश्वासन की गाड़ी'

यह पुल जिले के कटरा थाना में बसघटा गांव को सड़क और दूसरे गांवों से जोड़ती है. लगभग 25 हजार से ऊपर की आबादी के जाने-आने का साधन यह चचरी पुल ही है.

चचरी पुल

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Published : Apr 12, 2019, 5:55 PM IST

मुजफ्फरपुरः विकास का दावा करने वाली राज्य सरकार की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले के बसघटा गांव में आज भी लोगों के लिए चचरी पुल ही एक मात्र सहारा है. यहां चचरी पुल के सहारे ही एक गांव से दूसरे गांव लोग जाते हैं.

यह पुल जिले के कटरा थाना में बसघटा गांव को सड़क और दूसरे गांवों से जोड़ती है. लगभग 25 हजार से ऊपर की आबादी के जाने-आने का साधन यह चचरी पुल ही है. इलाके के लोग चंदा इकट्ठा करके हर साल इस चचरी को बनवाते हैं. यहां से आने-जाने के दौरान हर साल 5 से 10 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. खासकर महिलाओं और बुजुर्गों के साथ बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है.

चचरी के सहारे जी रहे हैं गांव के लोग

चुनावी मौसम के रुख को देखते हुए यहां के लोगों ने नेता के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. लोगों का कहना है कि प्रतिनिधियों ने पहले इनके मां-बाप को ठगा और इन्हें भी पिछले कई वर्षों से वोट के लिए झूठे वादे करते आए हैं. विकास के झूठे सपने दिखाने वाले जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने के लिए उन्हें इस बार इस गांव के लोगों ने वोट नहीं देने का फैसला किया है.

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