मुजफ्फरपुर:कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया. इस दौरान बिहार के लाखों श्रमिक अपने घर वापस आ गये. श्रमिक वापस आये तो सरकार ने उन्हें यहीं रहने और रोजगार देने का ऐलान कर दिया. कई बैठकें हुईं, लेकिन हालात बदलते नहीं दिख रहे हैं. आज घर लौटे मजदूर फिर से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.
मुजफ्फरपुर में बेरोजगार बैठे मजदूरों की उम्मीद अब टूटने लगी है. ईटीवी भारत से बात करते हुए इन मजदूरों ने अपना दर्द बयां किया. वो कोरोना के साये में पलायन करने को विवश हो रहे हैं. मजदूरों की मानें, तो घर चलाने के लिए अब मुसीबत बढ़ती जा रही है.
1.01 लाख मजदूर वापस लौटे
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे अधिक श्रमिक बिहार लौटे हैं. इनकी संख्या करीब 21 लाख से अधिक है. बिहार के सिर्फ आठ जिलों में ही करीब 10 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक लौटे हैं, जिसमें मुजफ्फरपुर में भी करीब 1.01 लाख के करीब श्रमिक अपने घर लौटे हैं. जिनको रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन कई महत्वपूर्ण योजनाओं का हवाला भी दे रहा है.
गरीब कल्याण रोजगार अभियान 2020
प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में प्रशासन जिले में गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की बात तो कह रहा है, लेकिन हकीकत में इसका लाभ अभी तक प्रवासी श्रमिकों में महज दस फीसदी लोग ही लाभ उठा पा रहे हैं. बात अगर मुजफ्फरपुर की करें, तो यहां सबसे अधिक प्रवासी मजदूर मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड में लौटे हैं. लेकिन यहां मजदूरों को रोजगार मिलने की बात धरातल पर नजर नहीं आ रही है. दूसरी ओर जिला प्रशासन लगातार इस दिशा में सतत काम करने की दलील पेश कर रहा है.