मुजफ्फरपुर:बिहार में प्रचंड गर्मी बढ़ने के साथ-साथ चमकी बुखार बच्चों के लिए काल बनता जा रहा है. एक आंकड़ें के मुताबिक इस बीमारी के कारण 2010 से अबतक 1,245 बच्चे पीड़ित हुए हैं, जिनमें 392 बच्चों की मौत हो चुकी है. गुरुवार को भी इस बीमारी के कारण 5 बच्चों ने दम तोड़ दिया.
बिहार में बढ़ता जा रहा प्रकोप
लगातार हो रही बच्चों की मौत के बाद आलाधिकारी बैठक पर बैठक कर रहे हैं, लेकिन इसका नतीजा शून्य है. आलम यह है कि 90 की दशक से इस बीमारी का प्रकोप मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में है. लेकिन आजतक स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के कारणों को जानने में फेल रही है.
ब्लड में शुगर की कमी शुरूआती लक्षण
कई वर्षों से इस बीमारी पर रिसर्च कर रहे एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि अस्पताल में जितने बच्चों का इलाज चल रहा है, उनमें हाइपोग्लेसिमिय (ब्लड में शुगर की कमी) का शुरूआती लक्षण पाए गए हैं.
समय पर इलाज से बच सकती है जान
डॉ. गोपाल ने बताया कि ये बीमारी वायरस से जुड़ी बीमारी नहीं है. इसे मेटाबोलिक एंसिलोपैथी कहते हैं. इसके कारण शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाती है. अगर मरीज एक घंटे के अंदर अस्पताल आ जाते हैं तो उन्हें बजाया जा सकता है, लेकिन जो इसके इलाज में देरी करते हैं उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है.
मौत के आंकड़े:
- वर्ष 2010 में 59 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 24 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2011 में 121 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 45 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2012 में 336 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 120 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2013 में 124 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 39 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2014 में 342 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 86 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2015 में 75 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 11 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2016 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 21 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2017 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 19 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2018 में 45 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 10 बच्चों की मौत हो गई.
- वर्ष 2019 में 49 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 17 बच्चों की मौत हो गई.