मुजफ्फरपुर: समाज कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले मदन सहनी (Madan Sahni) ने मंत्रिमंडल में अपने सहयोगी जीवेश मिश्रा (Jivesh Mishra) को करारा जवाब दिया है. अधिकारी के साथ तालमेल बैठाने के उनके सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए सहनी ने कहा कि वे अपनी सीमा में रहें.
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'राजनीतिक प्राणी हूं, दलाल नहीं'
मीडिया ने जब मदन सहनी से पूछा कि जीवेश मिश्रा ने कहा था कि मंत्री को भी अधिकारी के साथ तालमेल बैठाने चाहिए, इसके जवाब में सहनी ने कहा कि मैं एक राजनीतिक प्राणी हूं, दलाल नहीं कि अधिकारियों से तालमेल बैठाने की कोशिश करूं. अपनी ये विद्या वो अपने पास ही रखें.
"हम राजनीतिक प्राणी हैं, दलाल नहीं कि अधिकारियों से तालमेल बैठाएं. ये विद्या वो अपने पास ही रखें"- मदन सहनी, निवर्तमान मंत्री, समाज कल्याण विभाग
अपनी सीमा में रहें जीवेश
मदन सहनी ने कहा कि हम उनको बहुत बेहतर तरीके से जानते हैं. वो मेरे ही जिले के रहने वाले हैं. जिस धंधा से वो जुड़े रहे हैं, उस धंधे को हम बहुत अच्छी तरह से जानते हैं. उनको अपनी सीमा में रहना चाहिए.
2 विभाग मिलने से गदगद
जीवेश मिश्रा पर हमला करते हुए सहनी ने कहा कि उनको दो-दो विभाग मिला हुआ है, इसीलिए वो ज्यादा खुश हैं. हमको वैसे तो उन्हें जवाब नहीं देना चाहिए, लेकिन वो जो प्रमाण की बात बोल रहे हैं, वो मुझसे प्रमाण पत्र लेने वाले होते कौन हैं?
क्या कहा था जीवेश मिश्रा ने?
दरअसल जीवेश मिश्रा ने कहा था कि अफसरों की मनमानी के आरोप का मैं समर्थन नहीं करता. मेरे पास दो-दो विभाग हैं. मेरे विभागों में इस तरह की कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा था कि मंत्री को भी अधिकारी के साथ सामंजस्य बैठाकर विभाग चलाना चाहिए. मंत्री जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं. जनता के कई सारे काम होते हैं. ऐसे में मंत्रियों की जवाबदेही ज्यादा होती है. अधिकारियों को यह बात समझनी चाहिए."
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मदन सहनी की नाराजगी की वजह
मंत्री मदन सहनी ने गुरुवार को अफसरशाही के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था. उन्होंने कहा था, 'यहां अधिकारियों की कौन कहे, चपरासी तक मंत्री की बात नहीं सुनते. अगर मंत्री की भी बात सरकार में नहीं सुनी जाएगी, तो ऐसी हालत में मंत्री पद पर रहकर क्या फायदा?' उन्होंने कहा था, "अफसरों की तानाशाही से हम परेशान हो गए हैं. कोई काम नहीं हो रहा है. जब हम गराीबों का भला ही नहीं कर पा रहे हैं, तो केवल सुविधा भोगने के लिए मंत्री नहीं रह सकते. मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप देंगे.''
क्या है तबादले का पूरा खेल?
सूत्रों की माने तो मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच अधिकारियों के तबादले को लेकर पेंच फंस गया था, जिस कारण यह बखेड़ा खड़ा हो गया, जिससे अब सरकार की किरकिरी हो रही है. दरअसल, जून के महीने में राज्य के करीब सभी विभागों में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादले होते हैं. समाज कल्याण विभाग में भी तबादले होने थे. मंत्री ने आरोप लगाया कि तीन दिनों से अधिकारी तबादले का फाइल दबाए हुए हैं.
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BJP विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू का आरोप
इससे पहले बीजेपी विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू ने भी अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. ज्ञानू ने अपनी ही पार्टी से आने वाले मंत्रियों पर घूसखोरी का आरोप लगाया. ज्ञानू का कहना था कि मंत्रियों ने अफसरों और कर्मियों के तबादलों में जमकर घूस ली है.