मुजफ्फरपुर:जिला बाल संरक्षण इकाई की देखरेख में एक पालक अभिभावक ने बाल गृह से एक बच्चे को 'फॉस्टर केयर' में लिया. इस दौरान जिलाधिकारी के अलावे जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक उदय कुमार झा, सूचना एवं जन संपर्क पदाधिकारी कमल सिंह समेत कई अधिकारी मौजूद रहे.
'यह एक अनूठी और नेक पहल है'
मौके पर मौजूद डीएम प्रणव कुमार ने कहा कि यह एक अनूठी और नेक पहल है. इससे बच्चे को परिवार मिलता है, और परिवार को बच्चा. दोनों एक-दूसरे को पूरा करते हैं. एक बच्चा जो इस दुनिया से अनजान है, उसे एक परिवार की जरूरत होती है.
बिहार में पहली बार 'फोस्टर केयर'
जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक उदय कुमार झा ने कहा कि मुजफ्फरपुर बिहार का पहला जिला बना है जहां 'फोस्टर केयर' में फोरमल प्लेसमेंट किया गया है. फोस्टर केयर के तहत ऐसे बच्चों को परिवार से जोड़ा जाता है जिनके माता-पिता नहीं होते हैं या माता-पिता बच्चे की देखभाल के लिए सक्षम नहीं होते. बिहार में 'फोस्टर केयर' को समाज कल्याण विभाग, युनिसेफ एवं सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन अल्टरनेटिव केयर की सहयोग से लागू कर रही है.
मुजफ्फरपुर में 'फोस्टर' केयर की शुरुआत
रेलवे स्टेशन पर मिला था बच्चा
उन्होंने कहा है कि आ जिस बच्चे को उसके पालक परिवार को सौंपा जा रहा है वह 12 फरवरी, 2020 को मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर रेलवे चाईल्ड लाईन को मिला था. कई प्रयासों के बाद भी जिला बाल संरक्षण इकाई को उसके माता-पिता नहीं मिले और वह बाल कल्याण समिति, मुजफ्फरपुर के आदेशानुसार बाल देखभाल संस्थान में रह रहा था. लेकिन अब पास के गांव के ही एक निःसंतान दंपति ने इस बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी ली है जो बहुत ही सराहनीय है.
चयनित परिवार को दिया गया बच्चा
मुजफ्फरपुर बाल कल्याण समिति ने बताया कि बालक के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए चयनित 'फोस्टर' परिवार राजेश प्रसाद, पत्नी कांति देवी, ग्राम-तुर्की खरारू, थाना-मीनापुर, जिला-मुजफ्फरपुर को दिया गया है. पालक परिवार का स्वास्थ्य परीक्षण एवं पुलिस वेरिफिकेशन कराया गया. जिला बाल संरक्षण इकाई की तरफ से बालक जानकारी समस समय पर ली जाती रहेगी. समिति ने कहा कि अगर पालक परिवार को बालक की देखरेख करने में अभाव पाया जाता है तो वहां से बालक पालक परिवार से हटाया जा सकता है.
बेसहारा बच्चे को मिला परिवार