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बाढ़ पीड़ित इलाकों में पशुओं के चारे के लिए भटक रहे हैं मवेशी पालक - Water level of river

बिहार के मुजफ्फरपुर में बाढ़ प्रभावित इलाकों में सब कुछ तबाह हो जाने पर लोगों को अब पशुओं के चारे के लिए भटकना पड़ रहा है. चारा उपलब्ध नहीं होने पर वह मवेशियों को जलीय चारे को खिला रहे हैं. जिससे पशुओं की सेहत पर प्रभाव पड़ रहा है.

मवेशी
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Published : Sep 19, 2021, 7:18 AM IST

मुजफ्फरपुर:बिहार में बाढ़ का कहर(Flood Havoc in Bihar) धीरे-धीरे कम हो रहा है. वहीं, मुजफ्फरपुर में भी बूढ़ी गंडक और बागमती नदी का जलस्तर (Water Level of River) घटा है. जिले में स्थिति फिर से सामान्य हो रही है. लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाकों में पशुपालकों की समस्या कम होने की बजाय और बढ़ गई है. दो बार बाढ़ का दंश झेलने के बाद बाढ़ प्रभावित इलाकों में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करना पशुपालकों के लिए काफी मुश्किल हो रही है. कई इलाकों में चारे के अभाव में पशुओं की जान बचना किसी चुनौती से कम नहीं है.

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बता दें कि जिले के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित इलाकों में औराई और मीनापुर शामिल है. यहां पशुपालकों को चारे की व्यवस्था करने में खासी दिक्कत हो रही है. बाढ़ में सब कुछ तबाह होने से अब मवेशियों के लिए ढईचा और जलकुंभी के अलावा कुछ बचा नहीं है. इसे पशुओं के लिए अच्छा नहीं माना जाता. इससे उनकी सेहत पर प्रभाव पड़ रहा है. इसको जानने के बाद भी पशुपालक जलीय चारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. चारा नहीं मिलने से मवेशियों की मौत भी हुई है.

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औराई, कटरा और मीनापुर प्रखंड के बाढ़ प्रभावित गांवों के किसानों को पालतू पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करना एक बड़ी समस्या बन गयी है. यहां के लोग अब जुगाड़ की नाव या फिर जिनके पास निजी नाव उपलब्ध है, उसे ले जाकर पानी से चारा काटकर ला रहे हैं और अपने पशुओं को खिला रहे हैं.

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बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि पशुओं के जीवन को बचाने के लिए सरकार की तरफ से या पशुपालन विभाग के तरफ से कोई पहल नहीं हुई है. मजबूरी पशुओं को जिन्दा रखने के लिए किसी तरह से चारे का प्रबंध करना पड़ रहा है. इसके लिए भी उन्हें नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.

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