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जज्बे को सलाम! देश के लिए नई आशाओं के साथ बो रहे हैं फसल

यहां की जमीन पर वे पूरे साल में महज छह महीने तक खेती कर पाते हैं. इस बार हमलोगों ने बड़ी उम्मीदों से सब्जियों की खेती की थी. लेकिन लागू लॉक डाउन के असर ने सब्जियों को बाजार तक नहीं पहुंचने दिया. ऐसे में हमलोगों ने खेतों में लगे सब्जियों के फसल को खुद से नष्ट कर दिया.

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Published : May 1, 2020, 10:24 AM IST

लॉक डाउन की मार
लॉक डाउन की मार

मुजफ्फरपुर: अन्नदाता को यूं ही पूरा देश सलाम नहीं करता. उनका बुलंद हौसला उन्हें इस काबिल बनाता है. इसी उम्मीद पर खड़े उतर रहे जिले के पहाड़पुर दियारा के किसान. यहां के किसानों ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पर रहा है. कठिनाई और आर्थिक नुकसान सहने के बाद भी अपने खेतों को आबाद रखने के लिए पूरे जोश और हिम्मत के साथ डटे हुए है. किसानों का कहना है कि इस संकट काल में पूरा देश एकजुट है. इसलिए हमलोग देश की सेवा के लिए पूरी मेहनत का साथ कार्य कर रहे हैं.

'लॉक डाउन ने उम्मीदों पर फेरी पानी'
गंडक नदी के दियारा क्षेत्र में खेती कर रहे किसान विश्वनाथ महतो ने ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते हुए बताया कि यहां की जमीन पर वे पूरे साल में महज छह महीने तक खेती कर पाते हैं. इस बार हमलोगों ने बड़ी उम्मीदों से सब्जियों की खेती की थी. लेकिन लागू लॉक डाउन के असर ने सब्जियों को बाजार तक नहीं पहुंचने दिया. ऐसे में हमलोगों ने खेतों में लगी सब्जियों के फसल को खुद से नष्ट कर दिया. इतने बड़े नुकसान को झेलने के बाद भी हमलोगों ने देश के लिए एक बार फिर से नई आशाओं के साथ नई फसल को बोया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जिला प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के इस मुश्किल काल में देश के विकास के पहिये पूरी तरह से ठप हो गया है. लेकिन इस विपरीत हालात के बावजूद भी किसान अपनी मेहनत की बदौलत देश की अर्थव्यवस्था को खींचने का कार्य कर रहे हैं. आर्थिक नुकसान झेलने के बाद भी किसानों का हौसला कमजोर पड़ने के बजाय और भी मजबूत हुआ है. हालांकि, किसानों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मदद की अपील भी की.

खेतों में काम कर रही महिलाएं

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