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राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक से खास बातचीत, शाही लीची के लिए करना होगा इंतजार - जीआई टैग मानक

मुजफ्फरपुर का रसगुल्ला यानी शाही लीची अभी तैयार नहीं हुई है. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने ईटीवी भारत के माध्यम से किसानों से इसे अभी न तोड़ने की अपील की है.

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Published : May 23, 2020, 9:43 PM IST

Updated : May 25, 2020, 10:02 AM IST

मुजफ्फरपुर: लीची की फसल अभी अपने गुणवत्ता के अनुरूप पूरी तरह से तैयार नहीं हुई है. मौसम में आए बदलाव के कारण अभी इसके अपने शबाब में आने में करीब एक सप्ताह का समय और लगेगा. तब कहीं जाकर मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध लीची जीआई टैग मानक के अनुरूप होगी. इसको लेकर ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ से खास बातचीत की.

नहीं तैयार है शाही लीची

ईटीवी भारत से खास बातचीत में अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने लीची किसानों को सलाह दी है कि अभी शाही लीची तैयार नहीं हुई है. इसलिए इसकी तोड़ाई अभी नहीं करें. निदेशक ने अपनी एडवाइजरी में किसानों से कहा है कि अभी शाही लीची में फल का वजन, मिठास और गूदे की मात्रा और रंग अपने निर्धारित मानक से कम हैं.

देखें रिपोर्ट

शाही लीची का मानक वजन कम

विश्व प्रसिद्ध शाही लीची का मानक वजन 20 ग्राम से अधिक होता है, लेकिन अभी मुजफ्फरपुर के लीची बागानों में फसल का औसत वजन 17.50 ग्राम ही पाया गया है. अनुसंधान केंद्र की ओर से कहा गया है कि लीची तोड़ाई के लिए केंद्र की ओर फिर से सलाह जारी की जाएगी. तब तक लीची के फल का उचित विकास होने दें. डॉ. विशालनाथ ने अभी किसानों से लीची के पौधों के देखभाल और सिंचाई देने की भी अपील की है.

बागानों में लगी लीची
Last Updated : May 25, 2020, 10:02 AM IST

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