मुजफ्फरपुर:हौसला बुलंद हो तो कोई ऐसी दीवार नहीं, जो आपको मुकाम तक जाने से रोक दे. एक ऐसा ही मामला मुजफ्फरपुर के बनघारा गांव में सामने आया है. एक हादसे में दोनों पैर गंवाने के बाद भी पांच वर्षीय शिप्रा कलेक्टर (Shipra Lost Both Legs In Accident) बनाने का सपना संजोए हुए है. बेटी का हौसला देखकर परिवार के लोग भी सपोर्ट कर रहे हैं लेकिन आर्थिक तंगी के कारण दाल रोटी पर भी आफत है. पिता ने बेटी की पढ़ाई के खातिर नौकरी छोड़ दी है. वह उसे अपने साइकिल पर स्कूल पहुंचाते हैं.
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शिप्रा ने हादसे में दोनों पैर गंवा दिए: शिप्रा ने दोनों पैर एक सड़क हादसे में गंवा दिए. वर्ष 2018 में शिप्रा को स्कूल जाने के दौरान एक तेज रफ्तार ट्रक ने रौंद दिया. हादसे में एक पैर चला गया तो दूसरा पैर इलाज के दौरान डॉक्टरों को काटना पड़ा. एक साल तक उसका इलाज चलता रहा. इसी बीच शिप्रा ने हिम्मत नहीं हारी. ठीक होते ही वह स्कूल जाने के लिए जिद करने लगी. उसके पिता शैल कुमार दास को भी बेटी के जिद आगे झुकना पड़ा. वे एक माइक्रो फाइनेंस में नौकरी करते थे. लेकिन बेटी को मदद करने के लिए नौकरी छोड़ दी.
बेटी के लिए पिता ने नौकरी छोड़ दी:पिता कहते हैं कि बेटी की सरकारी सहायता के लिए कई बार प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगाया. किंतु कोई सुनने वाला नहीं है. उसे एक ट्राइ साइकिल की भी मदद नहीं मिली है. हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से लगे दिव्यांगता शिविर में शिप्रा का आवेदन लिया गया है. उसे हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया गया है. शिप्रा के पिता कहते हैं कि बेटी की पढ़ाई अब बाधित नहीं होने देंगे. जीविकोपार्जन के लिए घर पर ही कारोबार शुरू करेंगे लेकिन बेटी का मिशन पूरा करेंगे.
देश सेवा के लिए कलेक्टर बनना:दिव्यांग शिप्रा हाथ और सिर के बल भी चल लेती है. वह आसपास के दूसरे बच्चों के लिए प्ररेणा है. शिप्रा कहना है कि उसे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है. आगे और पढ़ना चाहती है, ताकि कलेक्टर बन सके. देश सेवा के लिए कलेक्टर बनना चाहती है. गरीबों की मदद करना चाहती है. शिप्रा यूकेजी की होनहार छात्रा है. पूरे क्लास में अव्वल आती है. पहले सरकारी स्कूल में नामांकन किया गया लेकिन उसकी मेधा देखकर एक निजी स्कूल ने निशुल्क एडमिशन देने की घोषणा की है.
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खेतीबारी से चलता रहा है घर:शिप्रा की पढ़ाई तो किसी तरह से चल रही है लेकिन पिता के नौकरी छोड़ देने से घर का आर्थिक हालात ठीक नहीं है. सरकार की तरफ से भी कोई सहायता नहीं मिली है. ऐसे में घर का चलाने का एकमात्र जरिया खेतीबाड़ी है. उससे शिप्रा की पढ़ाई के साथ दाल रोटी का इंतजाम बहुत मुश्किल से हो पाता है. मुजफ्फरपुर के डीएम प्रणब कुमार (Muzaffarpur DM Pranav Kumar) ने कहना है कि पढ़ाई के लिए शिप्रा को हरसंभव सरकारी सुविधाओं का मदद दिया जाएगा.