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मुजफ्फरपुर: फिर शुरू हुआ चमकी बुखार का कहर - मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का कहर

मुजफ्फरपुर में प्रशासन के चमकी बुखार को लेकर चलाए जा रहे तमाम दावों की पोल अब धीरे-धीरे खुलने लगी है. जिले में एक बार फिर चमकी बुखार का कहर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में शुरू हो गया है.

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फिर शुरू हुआ चमकी बुखार का कहर

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Published : Mar 19, 2020, 10:30 PM IST

Updated : Mar 20, 2020, 1:35 PM IST

मुजफ्फरपुर: गर्मी शुरू होने के साथ ही जिले में चमकी बुखार से जुड़े मामले सामने आने लगे हैं. चमकी बुखार से जुड़ा पहला मामला जिले के कांटी प्रखंड के ढेमहा पंचायत के रामपुर गांव के वार्ड नंबर एक में आया है. जहां 15 मार्च को एक वर्ष का बच्चा सनी कुमार इसका पहला शिकार हुआ है. उसे शरीर में चमकी के साथ बुखार की शिकायत होने पर गंभीर हालत में एसकेएमसीएच मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है.

15 मार्च को पड़ा चमकी बुखार का दौरा
जिले में प्रशासन के चमकी बुखार को लेकर चलाए जा रहे तमाम दावों की पोल अब धीरे-धीरे खुलने लगी है. तमाम प्रशासनिक दावों के बीच मुजफ्फरपुर में फिर से चमकी बुखार का कहर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में शुरू हो गया है. जहां इस रहस्यमई बीमारी के शिकार बच्चे होने लगे हैं. इसी क्रम में पहला मामला मुजफ्फरपुर के कांटी प्रखंड के ढेमहा पंचायत के रामपुर गांव में सामने आया है. जहां शंकर साहनी का एक साल का बेटा शिकार हुआ है. उसे 15 मार्च को चमकी बुखार का दौरा पड़ने के बाद गंभीर हालत में मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया.

गांव में खेलते बच्चे

जिला प्रशासन ने झाड़ा पल्ला
शनि बहुत ही खुशनसीब है कि उसे समय पर उचित चिकित्सीय सहायता मिली और उसकी जान बच गयी. लेकिन मामले का सबसे दुखद पहलू यह है कि इस बीमारी को लेकर हमेशा अपनी जिम्मेदारी और जबाबदेही से भागने वाली मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन इस मामले में अपना पल्ला झाड़ते हुए इसे चमकी बुखार मानने के बजाय मेडिकल टर्म में सिवियर फीवर का केस करार दे रही है.

जिला चिकित्सा पदाधिकारी अभी तक जिले में चमकी का कोई मामला सामने आने से इनकार कर रही है. जबकि बच्चे के परिजन और बच्चे के चिकित्सा से जुड़े मेडिकल रिपोर्ट में भी चमकी का जिक्र साफ देखा जा सकता है.

देखें ये रिपोर्ट

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24 बच्चों की हुई थी मौत
बता दें तिरहुत प्रमंडल के जिलों में मस्तिष्क ज्वर का असर पिछले 21 वर्षों से देखने को मिल रहा है. लेकिन इस मामले में प्रशासनिक सजगता 2010 के बाद देखने को मिली. जब बच्चों की मौत होने लगी थी. उसके बाद प्रतिवर्ष मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के जिलों में यह रहस्यमय बीमारी गर्मी शुरू होने के साथ ही शुरू होती है. जिसमें प्रतिवर्ष सैकड़ों बच्चों की जान चली जाती है. लेकिन अभी तक इस रहस्यमय बीमारी के कारणों से जुड़े तथ्यों का पता नहीं लगाया जा सका है.

Last Updated : Mar 20, 2020, 1:35 PM IST

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