पटना: बिहार में चमकी बुखार अब भयावह रूप ले चुका है. इससे साल दर साल होनेवाली मौत और दिव्यांगता, दोनों चुनौती है. सरकार भी इसको लेकर परेशान है. जांच के लिए आज केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच के लिए मुजफ्फरपुर आ रही है. इस टीम में सात सदस्य हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री ने कहा है कि केंद्रीय टीम बिहार जाकर सैंपल लेकर जांच करेगी. उन्होंने कहा था कि जल्द ही इस बीमारी से बचाव के उपाय भी निकाल लिये जाएंगे. बता दें चमकी बुखार के कहर से अब तक राहत नहीं मिली है. बीते 24 घंटों में जिले के एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में करीब 23 बच्चों को भर्ती किया गया. जिसमें 7 की मौत हो गई है.
बिहार में 57 की मौत
पांच जून की रात से उग्र हुई बीमारी अब तक 57 बच्चों को लील गई है, वहीं, सरकारी आकड़ों के मुताबिक अब तक 11 बच्चों की मौत हुई है. जबकि 154 से ज्यादा बच्चे मौत से जूझ रहे हैं. यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि मौत को मात भी दे गए तो जिंदगी भर के लिए दिव्यांगता का दंश मिलता है.
देश में AES से अब तक कुल बच्चों की मौत
बता दें कि 1977 के दौरान इंसेफेलाइटिस बीमारी सामने आई थी. तब से अब तक पूरे देश में एक लाख से अधिक बच्चे इसके शिकार हो चुके हैं. सबसे अधिक पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और असम इलाके के बच्चे इसके शिकार हुए हैं. वर्ष 2017 के दौरान पूर्वी उत्तरप्रदेश में 400 से अधिक बच्चों की इस बीमारी के कारण मौत हो गई थी. यह बीमारी खासकर 15 साल तक के बच्चों में होती है.
बीमारी की वजह
धान की फसल में जमा पानी में क्यूलेक्स नामक मच्छर पैदा होते हैं. उसी मच्छर के काटने से बच्चों में तेज बुखार आता है. सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी, चलने में परेशानी से लेकर बेहोशी इसके लक्षण होते हैं.