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Published : Jun 24, 2019, 8:49 PM IST

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'जांच के बाद तय होगा कि हर्षवर्धन और मंगल पांडेय पर FIR होगी या नहीं'

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत को लेकर परिवाद दायर किया गया था. इस परिवाद की सुनावाई में दोनों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं.

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मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से हो रही बच्चों की मौतों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ परिवाद दर्ज कराया गया था. इस मामले की पर सुनवाई करते हुए मुजफ्फरपुर की एक कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं.

मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी की अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) को इस बात की जांच के आदेश दिए हैं कि क्या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर लगाए गए लापरवाही के आरोप सही हैं. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जून की तारीख तय की है.

जानकारी देते अधिवक्ता

16 जून को दायर किया था परिवाद
मुजफ्फरपुर के भिखनपुर गांव निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने बिहार में एईएस यानी चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ 16 जून को परिवाद पत्र दायर किया था.

लगाए गए ये आरोप...
हाशमी ने याचिका में दोनों मंत्रियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी लापरवाही के कारण ही बच्चों की मौत एईएस से हो रही है. उन्होंने याचिका में कहा है कि बीमारी को लेकर कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया. याचिका में कहा गया है कि इस बीमारी पर अब तक कोई शोध भी नहीं कराया गया है.

उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर जिले और इसके आसपास के जिलों में लगभग प्रत्येक वर्ष होने वाली इस बीमारी से इस वर्ष अबतक 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है.

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