मुजफ्फरपुर: बिहार के कई गांवों में चमगादड़ों की पूजा (Worship Of Bats) की जाती है. इन्हीं में से एक गांव है मुजफ्फरपुर के मुशहरी प्रखंड का बादुर छपरा (Badur Chhapra), जहां चमगादड़ों को अशुभ नहीं बल्कि शुभ माना जाता है.लोग इसे अपना ग्राम देवता मानते हैं. यहां लोगों का ऐसा विश्वास है कि ये ग्राम देवता उनकी रक्षा करते हैं और आने वाली विपत्ति और बाधा को दूर करते हैं.
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कोरोना वायरस (Coronavirus ) के फैलने की एक बड़ी वजह चमगादड़ को भी माना जा रहा है. आमतौर पर लोग चमगादड़ से भयभीत रहते हैं. उनकों वैम्पायर भी माना जाता है. लेकिन मुशहरी प्रखंड के बादुर छपरा गांव में लोगों को चमगादड़ों से डर नहीं लगता बल्कि ग्रामीण इनकी पूजा करते हैं और उन्हें ग्राम देवता मानते हैं.
मुजफ्फरपुर के मुशहरी प्रखंड मुख्यालय से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित बादुर छपरा गांव पिछले सैकड़ों वर्षों से चमगादड़ों की आश्रयस्थली के रूप में पहचाना जाता है. जहां गांव के एक छोर पर दो तालाब के पास बने भगवान दुधनाथ महादेव मंदिर के आसपास लाखों की तादाद में चमगादड़ रहते हैं. ये चमगादड़ पीपल, बरगद, नीम, पाकुड़,महुआ,इमली और एक जंगली पेड़ पर आसानी से लटके हुए देखे जा सकते हैं.
बाबा दुधनाथ महादेव मंदिर के पुजारी की मानें तो उनके गांव में लगभग एक किलोमीटर के दायरे में चमगादड़ों का बसेरा है. लेकिन सबसे अधिक चमगादड़ मंदिर और उसके तालाब के आसपास ही वास करते हैं. जहां चमगादड़ों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. मंदिर के पुजारी के अनुसार चमगादड़ उनके पूरे गांव की रक्षा करते हैं. इसलिए ग्रामीण उनको अपना ग्राम देवता मानते हैं. यही कारण है कि उनका गांव पुरखों के समय से चमगादड़ के लिए मशहूर है.