मुजफ्फरपुर: गर्मी के मौसम की आहट के साथ ही मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के कई जिलों के लोग एक अनजाने खौफ से भी सहम गए हैं. यह खौफ एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का है. गर्मी के दिनों में बच्चों को होने वाली इस बीमारी ने पिछले कुछ सालों में सैकड़ों माताओं की गोद सूनी कर दी. 2018 में तो इस बीमारी के चलते 200 से अधिक बच्चों की जान गई थी.
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एईएस से बचाव के लिए खाका तैयार
बच्चों पर 2018 की तरह एईएस का कहर न बरपे इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने तैयारी कर ली है. एईएस का पहला मामला जिले में सामने आने के बाद इस चुनौती से निपटने की प्रशासनिक पहल तेज हो गई है. एईएस से बच्चों की जान बचाने के लिए इस बार भी जन जागरूकता अभियान प्रशासन का मुख्य हथियार होगा. इसे शुरू करने के लिए प्रशासनिक खाका तैयार किया जा चुका है.
स्वास्थ्य विभाग इस बार भी एईएस की चुनौती से निपटने के लिए पूर्व की तरह स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेस (एसओपी) अपनाने पर जोर दे रहा है. इस रोग के शिकार बच्चों में पूर्व में मिले लक्षणों के आधार पर चिकित्सक इस बार भी ग्लूकोज लेवल की मॉनिटरिंग पर जोर दे रहे हैं. डॉक्टर बीमारी से बचाव के लिए अभिभावकों से बच्चों को रात में खाना खिलाकर सुलाने की अपील कर रहे हैं.
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स गौरतलब है चमकी बुखार में अकसर रात के तीसरे पहर और सुबह में तेज बुखार का अटैक आता है. अमूमन यह बीमारी उन बच्चों पर ज्यादा प्रभावी होती है जिनका ग्लूकोज लेवल कम रहता है. यही वजह है स्वास्थ्य विभाग ने सभी एईएस प्रभावित इलाकों में बच्चों को सही न्यूट्रिशन देने की गाइडलाइंस जारी किया है.
"प्रत्येक पंचायत को एक-एक पदाधिकारी के जिम्मे दिया जा रहा है. कई स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे. नुक्कर नाटक और रैलियां की जाएंगी. इसके साथ ही गांव के लोगों के बीच जाकर अधिकारी उन्हें एईएस से बचाव के प्रति जागरूक करेंगे."- प्रणव कुमार, डीएम, मुजफ्फरपुर
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स "जिला प्रशासन और जिला के स्वास्थ्यकर्मी जागरूकता अभियान चला रहे हैं. अभिभावक अपने बच्चों को बिना जरूरत के धूप में न जाने दें. समय पर भोजन दें. पानी पिलाते रहें. गर्मी के दिनों बच्चों को डिहाइड्रेशन की परेशानी होती है. बच्चों में बीमारी के लक्षण दिखे तो उन्हें नजदीकि स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं. बच्चे को हॉस्पिटल ले जाने में देर न करें. ऐसे मामले में देर होने पर मृत्यु दर में वृद्धि देखी गई है."- डॉ बीएस झा, अधीक्षक, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स एईएस से जंग के लिए योजना तैयार
- एईएस से बचाव के लिए 10 मार्च से दीवार लेखन का काम शुरू होगा.
- सदर अस्पताल में 24 घंटे नियंत्रण कक्ष काम करेगा.
- यह मार्च से दूसरे सप्ताह से प्रभावी होगा.
- पिछले वर्ष की तरह जिले के चमकी प्रभावित पंचायतों को अधिकारी गोद लेंगे.
- अप्रैल से प्रत्येक सप्ताह अधिकारियों को चमकी बुखार के चिह्नित पंचायतों में जाना अनिवार्य होगा.
- मार्च के पहले सप्ताह से आरबीएसके के वाहनों द्वारा माइकिंग के जरिये प्रचार-प्रसार शुरू होगा.
- चमकी प्रभवित बच्चों को समय से अस्पताल पहुंचाने के लिए पंचायतों में एक वाहन अटैच रहेंगे.
- आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषक क्षेत्रों में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की सूची शीघ्र उपलब्ध कराने का निर्देश.
- जिले में 10 लाख जागरूकता पर्चा वितरित करने की योजना.
- महादलित टोला में जनसंपर्क विभाग जागरूकता को लेकर होर्डिंग लगाएगा.
- सभी पीएचसी अलर्ट मोड में रहेंगे, इसकी सतत मॉनिटरिंग होगी.
- पीएचसी में रात में तैनात चिकित्सक और पारा मेडिकल स्टाफ की विशेष मॉनिटरिंग पर जोर रहेगा.
- पदाधिकारियों को सभी 385 पंचायतों को गोद लेने का निर्देश.