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मुजफ्फरपुर: चमकी बुखार से एक और बच्चे की गई जान, मौत का आंकड़ा बढ़कर 15 हुआ

मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में लगातार हो रही बारिश के बीच चमकी (AES In Muzaffarpur) बुखार के मामले एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं. बीते दिनों शुक्रवार को चमकी बुखार से दो बच्चों की मौत हो गई है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 14, 2021, 12:37 PM IST

Another child dies of Chamki fever in Muzaffarpur
Another child dies of Chamki fever in Muzaffarpur

मुजफ्फरपुर:जिले में लगातार हो रही भारी बारिश (Heavy Heat) और तापमान में आयी गिरावट के बाद भी चमकी बुखार (Chamki Fever In Muzaffarpur) का मामला थम नहीं रहा है. अगस्त महीने में भी चमकी बुखार से जुड़े मामलों में तेजी दिख रही है. शुक्रवार को भी चमकी बुखार पीड़ित छह वर्षीय बच्चे भोला की इलाज के दौरान एसकेएमसीएच (SKMCH) में मौत हो गई.

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चमकी बुखार से गंभीर रूप से पीड़ित होने के बाद भोला की मौत हो गई. उसे इलाज के लिए एसकेएमसीएच (SKMCH) के पीकू वार्ड में भर्ती किया गया था. इसके साथ ही इस साल चमकी बुखार से होने वाली मौत का आंकड़ा बढ़कर 15 हो गया है. इससे पहले शुक्रवार को ही चमकी बुखार पीड़ित डेढ़ वर्षीय बच्ची कीर्ति कुमारी की इलाज के दौरान एसकेएमसीएच (SKMCH) में मौत हो गई थी.

वहीं, इस बार मौसम के मिजाज में आए बदलाव और लगातार हो रही बारिश के बीच भी चमकी बुखार से जुड़े मामले लगातार सामने आ रहा है. इससे जुड़े जानकार भी हैरान हैं. अमूनन जुलाई के बाद से ही चमकी बुखार से जुड़े मामलों में कमी आने लगती थी. लेकिन इस बार अगस्त में भी चमकी बुखार से जुड़े कई मामले लगातर सामने आ रहे हैं. अभी भी एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में चमकी बुखार के तीन सस्पेक्टेड बच्चे भर्ती हैं. वहीं, अभी तक जिले में इस वर्ष चमकी बुखार से जुड़े 63 मामले सामने आ चुके हैं.

बता दें कि चमकी बुखार में अक्सर रात के तीसरे पहर और सुबह तेज बुखार का अटैक आता है. ये बीमारी उन बच्चों पर ज्यादा प्रभावी होती है जिनका ग्लूकोज लेवल कम रहता है. यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग ने एईएस प्रभावित इलाकों में बच्चों को सही न्यूट्रीशियन देने को कहा है. चमकी बुखार से बच्चों की जान बचाने के लिए समय पर इलाज जरूरी है.

तेज बुखार, शरीर में ऐंठन, बेहोशी और जबड़े कड़े होना चमकी बुखार के मुख्य लक्षण हैं. बच्चे में अगर ये लक्षण दिखे तो उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए. चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को पानी और ओआरएस का घोल पिलाते रहना चाहिए. तेज बुखार हो तो शरीर को ताजे पानी से पोछना चाहिए. माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवा या अन्य सीरप देना चाहिए.

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