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निर्भया के दोषियों को अंतिम क्षण तक बचाने की कोशिश करने वाले एपी सिंह करेंगे ब्रजेश ठाकुर की पैरवी - मुजफ्फरपुर शेल्टर होम

निर्भया गैंगरेप मामले में आरोपियों के वकील रहे एपी सिंह ने कहा कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में मीडिया ट्रायल किया गया. उन्होंने कहा कि इस मामले के कुछ आरोपियों की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर करेंगे.

muzaffarpur shelter home case
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Published : Dec 26, 2020, 10:30 PM IST

नई दिल्ली/मुजफ्फरपुर:निर्भया गैंगरेप मामले में आरोपियों के वकील रहे एपी सिंह मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के आरोपियों के केस की पैरवी करेंगे. एपी सिंह ने कहा है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में साकेत कोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई की, इसलिए कई निर्दोष लोगों को दोषी ठहरा दिया गया.

वकील एपी सिंह कुछ आरोपियों की हाईकोर्ट में पैरवी करेंगे

एपी सिंह ने कहा कि इस मामले की जिन लोगों ने सीबीआई जांच की मांग की थी, उन्हें ही दोषी ठहराया गया है. जो इस मामले के गुनाहगार हैं वे बाहर हैं और बिहार विधानसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दबाव की वजह से सीबीआई जांच की मांग की गई थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में इस केस का मीडिया ट्रायल किया गया और बहुत जल्दी किया गया. उन्होंने कहा कि इस मामले के कुछ आरोपियों की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर करेंगे.

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ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली

बता दें कि इस मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को चुनौती दी है. इस मामले पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को होनी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने पिछले 11 फरवरी को मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे, इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस

पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरू की थी.

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