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मुज्फफरपुर: CID के ADG ने किया एफएसएल का निरीक्षण, दिये सख्त निर्देश - bihar news

एडीजी ने बताया की मुजफ्फरपुर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला वर्ष 2015 में अस्तित्व में आया और विधिवत रूप से कार्य करना प्रारम्भ हुआ. वही लगातार इसकी कार्यप्रणाली में वृद्धि हुई है. पिछले वर्ष 2018 में तिरहुत प्रक्षेत्र के सम्बंधित जिलों के 1513 गंभीर कांडों में वैज्ञानिक पद्धति से जांच कर पुलिस विभाग को सहयोग दिया गया है.

सीआईडी के एडीजी ने किया एफएसएल का निरीक्षण

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Published : Aug 21, 2019, 12:04 AM IST

मुजफ्फरपुर: जिले में सीआईडी के एडीजी ने एफएसएल की जांच की. इस जांच में तिरहुत रेंज के आईजी गणेश कुमार, सिटी एसपी नीरज कुमार सिंह भी मौजूद रहे. वहीं एडीजी ने अधिकारियों को अपराधी को लेकर जुटाए गए साक्ष्य जमा करने, जांच के उसको विधि विज्ञान प्रयोगसाला भेजने और रिपोर्ट बनाने में देरी नहीं करने का निर्देश दिया.

पुलिस महानिदेशक ने की एफएसएल की जांच
दरअसल, अपराध अनुसंधान के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने जिले के काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के गन्नीपुर स्थित एफएसएल का निरीक्षण किया. उनके साथ तिरहुत रेंज के आईजी गणेश कुमार, सिटी एसपी नीरज कुमार सिंह भी मौजूद रहे. बताया गया है कि तकनीकी विशेषज्ञ के लिए वैज्ञानिकों की नियुक्ति की गयी है. साथ ही सभी रिक्त पदों पर अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति भी की गई है. भविष्य में आवश्यकतानुसार पद तैयार करते हुए और भी बहाली की जाएगी.

सीआईडी के एडीजी ने किया एफएसएल का निरीक्षण

विधि विज्ञान प्रयोगशाला बनेगा और भी सशक्त

एडीजी ने बताया की मुजफ्फरपुर स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला वर्ष 2015 में अस्तित्व में आया और विधिवत रूप से कार्य प्रारम्भ हुआ. वही लगातार इसकी कार्यप्रणाली में वृद्धि हुई है. पिछले वर्ष 2018 में तिरहुत प्रक्षेत्र के सम्बंधित जिलों के 1513 गंभीर कांडों में वैज्ञानिक पद्धति से जांच कर पुलिस विभाग को सहयोग दिया गया है.
विधि विज्ञान प्रयोगशाला में लगातार आधुनिक से लेकर अत्याधुनिक उपकरण स्थापित किए गए हैं. इस वर्ष भी नए उपकरण लगाए गए हैं. मुख्यालय की कोशिश है कि विधि विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक उपकरणों को खरीद कर विधि विज्ञान प्रयोगशाला को और सशक्त बनाया जाए.

विधि विज्ञान प्रयोगशाला

रिपोर्ट और जांच के मामले में एडीजी ने दिए सख्त निर्देश

बिहार पुलिस का मानना है की गवाहों के बयान बदल सकते हैं. गवाह मुकर सकते हैं लेकिन जांच के दौरान और पश्चात् वैज्ञानिकों के तैयार किए वैज्ञानिक साक्ष्य और रिपोर्ट झूठे नहीं हो सकते हैं. वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर तैयार जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता को न्यायालय की ओर से भी मान्यता दी जाती है. उन्होंने कहा कि रेंज के आईजी गणेश कुमार को विधि विज्ञान प्रयोगशाला के स्थानीय नियंत्रण अधिकारी के तौर पर जिम्मेवारी दी गई है. वहीं उन्होंने निर्देश दिया कि यदि किसी भी जांच में देरी होती है तो सिस्टम के तहत सम्बंधित जिलों और क्षेत्र के वरीय पदाधिकारियों को निदेशित किया जाए. इसके बाद मामले के लिए अनुसंधानकर्ता एंव विशेष बल भेजकर जांच रिपोर्ट को संकलित कर अनुसन्धान में उसका उपयोग करें. आपको बता दें कि वर्तमान में विधि विज्ञान प्रयोगशाला सीआईडी के अंदर आता है. इसका मुख्यालय पटना में है.

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