मुंगेर:बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार बिहार में 2 सीटों पर उपचुनाव ( By-Election ) हो रहा है. तारापुर ( Tarapur ) और कुशेश्वरस्थान( Kusheshwarsthan ) दोनों ही सीटें जदयू विधायकों के निधन के कारण खाली हुई है.
विधायक मेवालाल चौधरी के कोरोना से आकस्मिक निधन के बाद तारापुर विधानसभा के लिए उपचुनाव होना है. यहां पर 30 अक्टूबर को मतदान होना है. ऐसे में तारापुर विधानसभा में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. बिहार में 2 विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, दोनों पर जेडीयू की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
ये भी पढ़ें- बिहार उपचुनाव: तारापुर और कुशेश्वरस्थान में JDU की अग्निपरीक्षा, दांव पर CM नीतीश की प्रतिष्ठा
तारापुर विधानसभा सीट मुंगेर जिले के तहत आता है. तारापुर विधानसभा सीट 1951 से अस्तित्व में है. 1951 में इस सीट पर पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. राय बासुकीनाथ ने कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
1957 के चुनाव में भी कांग्रेस की टिकट पर राय बासुकीनाथ ने तारापुर से एक बार फिर जीत हासिल की थी. 1962 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की टिकट पर जयमंगल सिंह ने विरोधियों को मात दे दी थी तो 1967 में बीएन प्रशांत ने सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर जीत हासिल की थी.
ये भी पढ़ें-बिहार उपचुनाव: कुशेश्वरस्थान और तारापुर सीट पर RJD ने ठोका दावा, पशोपेश में कांग्रेस
वहीं, 1969 में तारापुर विधानसभा सीट से तारणी प्रसाद सिंह ने शोषित दल के टिकट पर जीत का परचम लहराया था. 1972 में तारणी प्रसाद सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की टिकट पर एक बार फिर जीत हासिल की थी. 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी की टिकट पर कौशल्या देवी ने सभी विरोधियों को मात दे दी थी.
वहीं 1980 के तारापुर सीट से सीपीआई (CPI) कैंडिडेट नारायण यादव पर जीत हासिल की थी. 1985, 1990, 1995, 2000 और 2005 के विधानसभा चुनाव में तारापुर सीट पर शकुनी चौधरी ने अपना वर्चस्व बरकरार रखा था, हालांकि हर बार शकुनी चौधरी ने अलग अलग पार्टी से चुनाव लड़ा था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जनता का भरोसा हासिल किया. 25 साल तक शकुनी चौघरी तारापुर सीट का प्रतिनिधित्व विधानसभा में कर रहे थे.
ये भी पढ़ें-तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव में आसान नहीं JDU की राह, जानें क्या कहते हैं पुराने आंकड़े
लेकिन 2010 में जदयू की ओर से नीता चौधरी ने शकुनी चौधरी को पराजित किया था. 2015 में नीता चौधरी के पति मेवालाल चौधरी ने जदयू के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की और फिर 2020 में भी मेवालाल चौधरी को ही सफलता मिली थी. मेवालाल चौधरी के निधन के कारण यह सीट खाली हुई है. शकुनी चौधरी के बेटे अब बीजेपी कोटे से मंत्री हैं.
तारापुर विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे
अगर आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो साल 2020 में तारापुर विधानसभा सीट पर जेडीयू के मेवालाल चौधरी को जीत मिली है. उन्होंने आरजेडी की दिव्य प्रकाश को मात दिया था. मेवालाल चौधरी को 6 हजार से ज्यादा वोटों से जीत मिली. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक, मेवालाल चौधरी को 64468 वोट मिले. वहीं दिव्य प्रकाश के खाते में 57243 वोट पड़े. इससे पहले 2015 के चुनाव में भी जेडीयू को जीत मिली थी. जेडीयू के मेवालाल चौधरी ने 11 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी.
जातीय समीकरण
इस सीट पर यादव और कोइरी अहम भूमिका में हैं. वहीं मुस्लिम, राजपूत, ब्राह्मण, रविदास और पासवान भी काफी अच्छी संख्या में हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा मतदान साल 1985 में हुई थी, उस समय 72.6% वोट पड़े थे. साल 2020 के चुनाव में यहां 53.71% वोट पड़े थे. जुमई संसदीय क्षेत्र में आने वाले तारापुर की जनसंख्या 456549 है. यहां की 87.63 फीसदी आबादी ग्रामीण और 12.37 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात कुल जनसंख्या से क्रमशः 15.1 और 1.97 है.