मुंगेर:बिहार के मुंगेर में दीपावली(Diwali in Munger) को लेकर प्रखंड में कुम्हारों के चाक की रफ्तार तेज हो गई है. आज भी इस पुरानी परंपरा को जीवंत रखने में इनकी अहम भूमिका है. त्यौहार को लेकर वह दीप और अन्य सामग्री बनाने में लगे हैं. कुम्हार मिट्टी के ढ़ेर को एक ऐसा मनमोहक रूप, आकार और सजीव रूप देते हुए दीपक बनाते है, जिससे सभी अमीर और गरीब दीपावली में अपने घरों को सजाते हैं, लेकिन आज सभी को खुशी देने वाला कुम्हार समुदाय अपने वजूद को तलाश रहा है.
पढ़ें-दीपावली पर लखीसराय में मिट्टी के दीयों से पटा बाजार, कुम्हारों को उम्मीद- होगी अच्छी बिक्री
कुम्हारों ने थामा आधुनिकता का दामन: कुम्हार समाज के अधिकांश लोग बदलते जीवन शैली के साथ अपनी परंपरा और सभ्यता को दरकिनार कर आधुनिकता का दामन पकड़ रहे हैं. कई लोग इस सामाजिक परंपरा से दूर होते जा रहे हैं. कभी प्रकाश पर्व के अलावा अन्य उत्सव में दिए समेत मिट्टी के बने अन्य सामान बेचकर परिवार आसानी से चलता था लेकिन आज वही लोग अपने जीवन की रोशनी की तलाश कर रहे हैं. हालांकि इस समाज में बड़े बुजुर्ग मिट्टी के दीए का वजूद बचाने के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं. इस हुनर को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की कवायद भी की जा रही है. इनमें ना केवल हुनर को बरकरार रखने की क्षमता है, बल्कि राष्ट्रभक्ति का संदेश भी दे रहे हैं.