मुंगेर: बिहार के मुंगेर में पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Postmortem Report Delay in Munger) समय पर नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की बेहतर तालमेल के अभाव में मुकदमों का निपटारा समय पर नहीं हो रहा है. इंज्यूरी और बीएसटी रिपोर्ट के चलते जिले के कई थानों में अभी भी दो सौ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने से मुकदमों का निष्पादन नहीं हो पा रहा है. घटना के बाद अस्पताल से रिपोर्ट नहीं उपलब्ध होने से केस फाइलों में उलझ कर रहा गया है. यह आंकड़ा सिर्फ छह माह का है. इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही भी साफ दिख रही है.
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संबंधित रिपोर्ट पर समय पर चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों के हस्ताक्षर नहीं होने से जांच में विलंब हो रहा है. दरअसल, किसी घटना की जांच अस्पताल की रिपोर्ट पर निर्भर है. जिले के थानों से जारी होने वाली एमएलसी सहित उससे जुड़े दस्तावेज प्राप्त करने में पुलिसकर्मियों के पसीने छूट रहे हैं. उन्हें लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है. नतीजतन इसका असर थानों में दर्ज मामलों पर पड़ रहा है.
सदर अस्पताल और जिला के विभिन्न प्रखंडों में संचालित अनुमंडल और पीएससी में आने वाले मेडिकल जांच पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेना पुलिस के लिए आसान नहीं है. हर दिन मारपीट, सड़क दुर्घटना, जहरखुरानी सहित अन्य मामलों में पीड़ित अस्पताल पहुंचते हैं. यह मामले तो थानों में दर्ज हो जाते हैं. इसके बाद इन मामलों से जुड़े दस्तावेज जुटाने में पुलिस को महीनों चक्कर काटना पड़ता है. रिपोर्ट के लिए पुलिसकर्मियों को दो से तीन महीने तक चक्कर काटना पड़ता है.
'2019 के एक केस का पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक नहीं मिला है. जिसके कारण वह केस 2 सालों से लंबित है. अधिक समय पर एक केस अगर लंबित रहता है तो वरीय पदाधिकारी वेतन तक हम लोगों का रोक देते हैं. ऐसे में अनुसंधान भी प्रभावित होता है और हमलोगों पर कार्रवाई भी होती है. लेकिन इसका जिम्मेवार तो स्वास्थ्य विभाग है, जो समय पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट हम लोगों को नहीं देता. मैं खुद एक केस का पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने के लिए 2 साल से चक्कर लगा रहा हूं.'-राम किशोर महतो, पुलिसकर्मी, बासुदेवपुर ओपी
पहला मामला: मुफसिल थाना क्षेत्र के नौवागढ़ी के पुलिस मंडल की पत्नी दाना देवी के साथ पड़ोसी ने मारपीट की थी, इसकी रिपोर्ट अब तक थाना तक नहीं पहुंच सकी है.