मुंगेर: जिले में एक बार फिर बाढ़ ने अपना विकराल रूप ले लिया है. जिसके चलते बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें और बढ़ गई है. तीन दिनों पहले गंगा के जलस्तर में आ रही कमी से बाढ़ पीड़ितों को अपने घर लौटने की आस जगी थी. लेकिन दुबारा से गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ पीड़ितों की आशाओं पर पानी फिर गया.
तंबू बना कर रहने को मजबूर
गंगा का जलस्तर बढ़ने के चलते जिलेवासियों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. गंगा का जलस्तर 39.50 सेंटीमीटर दर्ज किया गया है. जबकि हर चार घंटे में जलस्तर में एक सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है. जिसके चलते बाढ़ पीड़ितों को अपने घरों को छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ रहा है. वहीं कुछ लोग तो रेल पटरियों के किनारे तंबू बना कर रहने को मजबूर हो गए हैं.
बाढ़ के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त प्रशासन से की मांग
बाढ़ पीड़ितों ने बताया की एक ओर जहां बाढ़ के कहर से परेशान है. वहीं जिले में पांच दिनों से हो रही लगातार बारिश ने परेशानियों को और बढ़ा दिया है. उन्होंने बताया कि सड़कों के किनारे और रेल पटरियों के किनारे पॉलीथीन का तंबू बना कर रह रहे हैं. पीड़ितों ने जिला प्रशासन से प्लास्टिक और सुखा राशन उपलब्ध कराने की मांग की है.
बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुसा कम्युनिटी किचन की सुविधा
डीएम राजेश मीणा ने कहा कि बरियारपुर की सभी पंचायतों में कम्युनिटी किचन चलाने के निर्देश दिए गए हैं. डीएम ने कहा कि एक तरफ जहां लोग बाढ़ की स्थिति से परेशान हैं. वहीं लगातार बारिश होने के कारण कई घरों में खाना नहीं बन रहा है. इसी कारण लोगों को भोजन देने के लिए बरियारपुर की सभी 11 पंचायतों में कम्युनिटी किचन चलाने का निर्देश दिया गया है.
पटरियों के किनारे तंबू लगाकर रह रहे लोग सड़कों पर रुका आवागमन
बाढ़ के कारण पिछले कई दिनों से जिले के कई सड़कों पर आवागमन बाधित हो गया है. बाधित सड़कों में सीताकुंड, नौवागढ़ी पथ, हसनपुर, हरदियाबाद पथ, मनियारचक, नौवागढ़ी पथ, चड़ौन नौवागढ़ी पथ, दिवानी टोला से रहिया पथ, एकासी जाने वाली पथ शामिल है.