मुंगेरःआज पूरा देश भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती(Atal Bihari Vajpayee birth anniversary) मना रहा है. वो एक ऐसी महान शख्सियत थे, जिनके फैन विरोधी और अल्पसंख्यक भी है. आज हम बात करेंगे उनकी उन यादों की जो बिहार के मुंगेर से जुड़ी है. बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि अटल बिहारी वाजपेयी (Memory Of Atal Bihari Vajpayee With Munger) का मुंगेर जिला से गहरा लगाव था. अपने जीवन काल में वो 1 दर्जन से अधिक बार मुंगेर आए थे.
ये भी पढ़ेंःलिट्टी-चोखा और पापड़ी के मुरीद थे अटल जी.. जिंदगी भर वो ना तो बक्सर को भूल पाए और ना ही बक्सर उन्हें
मुंगेर जिले में नगर पालिका चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक में वो अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने और उनका मनोबल बढ़ाने लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचते थे. मुंगेर की तारापुर सीट पर चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी चुनावी सभा का प्रचार खुद टमटम पर बैठ कर किया था. उस समय वहां टमटम आवागमन का मुख्य साधन था. अपने प्रधानमंत्री होने के दौरान 2002 में उन्होंने मुंगेर गंगा पुल की सौगात दी. मुंगेर में अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए चुनाव प्रचार करने जब वो आए तो, उस दौरान जनसंघ के तत्कालीन संगठन पदाधिकारी और बुद्धिजीवी द्वारा उनका स्वागत किया गया. उनकी हर यात्रा की एक अलग ही कहानी है. आज भी उन यात्रा वृतांत की चर्चा करके लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं.
आप लोगों ने मुझे दूल्हा बना दियाःमुंगेर के वरिष्ठ पत्रकार राणा गौरी शंकर बताते हैं कि एक बार उन्हें जमालपुर जंक्शन से मुंगेर आना था. मुंगेर से कार्यकर्ताओं ने उन्हें लाने के लिए जीप भेजी थी. उस समय प्लास्टिक के फूल से जीप को सजाया गया था. जीप पर बैठकर वो मुंगेर आए तो यहां बैंड बाजे के साथ उनका स्वागत किया गया. गौरी शंकर कहते हैं कि फूलों से सजी जीप और बैंडबाजा वाजपेयी जी ने देखा तो बगल में खड़े शालिग्राम केसरी और रामलखन गुप्ता को कहा कि 'मुझे तो पिताजी दूल्हा नहीं बनवा पाए, लेकिन आप लोगों ने मुझे दूल्हा बना दिया' और मुस्कुराते हुए गाड़ी से उतरकर संघ कार्यालय बेकापुर चले गए.
रिक्शा से बैठकर पहुंचे थे मुंगेरःसन 1958 में मुंगेर नगरपालिका का चुनाव होने वाला था. जनसंघ की ओर से रामलखन गुप्ता, जगदीश प्रसाद, इंद्रदेव केसरी, हरि वर्मा जैसे लोग चुनाव में खड़े थे. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी सांसद बन चुके थे. साथ ही जनसंघ की कमान उनके हाथों में थी. स्थानीय जनसंघ के पदाधिकारियों ने उनसे मुंगेर आने का अनुरोध किया था. उन्होंने टेलीग्राम के माध्यम से अपनी स्वीकृति भी दे दी. अपर इंडिया एक्सप्रेस से वे दिल्ली से जमालपुर पहुंचे. कार्यकर्ताओं को जमालपुर स्टेशन पर नहीं देख वे आराम से अपने समानों को लेकर जमालपुर में रिक्शा पर बैठ गये और सीधे बेकापुर स्थित जनसंघ कार्यालय पहुंचे. जनसंघ कार्यालय में मौजूद कार्यकर्ताओं ने जब वाजपेयी जी को देखा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
टमटम पर बैठ खुद किया चुनावी सभा का प्रचारःअटल बिहारी वाजपेयी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और उनके लिए कोई काम छोटा या बड़ा नहीं था. तभी तो मुंगेर के तारापुर में एक चुनावी सभा के दौरान उन्होंने अपनी चुनावी सभा का प्रचार खुद टमटम पर बैठ कर किया थे. जनसंघ के वयोवृद्ध कार्यकर्ता शालीग्राम केसरी बताते हैं- तारापुर से अधिवक्ता जयकिशोर सिंह चुनाव लड़ रहे थे. तारापुर में वाजपेयी जी की चुनावी सभा थी. तारापुर पहुंचने के बाद वाजपेजी ने कार्यकर्ताओं से पूछा हमारी सभा के बारे में प्रचार-प्रसार की क्या व्यवस्था है? कार्यकर्ताओं ने कहा पंचायत स्तर पर लोगों को जिम्मेदारी दे दी गई है. माइकिंग नहीं करवाया गया है. स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा जो तैयारी की गयी थी, उसे देख वाजपेयी जी समझ गये कि सही ढंग से प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया है.
शालीग्राम केसरी बताते हैं कि उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि आपलोग सभास्थल और मंच की तैयारी करें और मैं लोगों को बुलाकर आता हूं. एक कार्यकर्ता को लेकर वे बाजार गये और माइक की व्यवस्था की. उस समय वहां टमटम ही चलता था. टमटम पर ही माइक बांधा गया और वाजपेयी जी अपने माथे पर एक गमछे से का मुरेठा बांधा. फिर खुद अपने सभा का प्रचार करने लगे. टमटम पर बैठ हाथों में माइक ले वे सभा के बारे में बोल रहे थे कि जनसंघ के बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी जी का तारापुर बस स्टैंड मैदान में चुनावी सभा होने जा रही हा, आप सभी भारी संख्या में आकर वाजपेयी जी के भाषण को सुनें.
दिनभर उन्होंने तारापुर, असरगंज, तेतिया, बंबर आदि इलाके में घूम-घूमकर चुनावी सभा के बारे में प्रचार किया. कुछ देर बाद जब भीड़ सभास्थल पर पहुंची और वाजपेयी जी भाषण के लिए मंच पर आये तो लोगों ने देखा कि जो व्यक्ति टमटम से प्रचार कर रहे थे, वे ही अटल बिहारी वाजपेयी थे.
शालिग्राम केशरी कहते हैं कि उनका सौभाग्य रहा कि वे संगठन के माध्यम से कई बार वाजपेयी जी से रू-ब-रू हुए. वे वाजपेयी जी के पास मुंगेर के पहले भाजपा जिला अध्यक्ष सह पूर्व विधानसभा सदस्य स्वर्गीय विश्वनाथ गुप्ता के साथ पहली बार म्युनिसिपलटी चुनाव के दौरान ही वे उनसे मिले थे. उस समय वे भी युवा थे. उन्होंने कहा कि जनसंघ द्वारा शेर छाप पर म्युनिसिपलटी का चुनाव लड़ा गया था. उस चुनाव में रामलखन गुप्ता, जगदीश प्रसाद, इंद्रदेव केसरी व हरि वर्मा चुनाव जीते थे.
ये भी पढ़ेंः25 दिसंबर : कभी न भूलने वाले शख्सियत थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, एक नजर
वाजपेयी जी के संदर्भ में अपनी यादों को ताजा करते हुए बताया कि 1967 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत के बाद वाजपेयी जी जनसंघ के अध्यक्ष हो गये थे. बिहार में विधानसभा चुनाव हो रहा था. उस चुनाव में वाजपेयी जी का कार्यक्रम तय हुआ था. संगठन की ओर से उन्हें व मकससपुर के सुधीर शर्मा को गिरीडीह भेजा गया था. पंडित दीनदयाल की हत्या के बाद सुरक्षा के दृष्टिकोण से सुधीर शर्मा जी अपनी बंदूक लेकर और उन्हीं की एंबेसडर कार से वे लोग गिरीडीह गये थे.
वे बताते हैं कि उनका कई कार्यक्रम था. अगले दिन वाजपेयी जी का कार्यक्रम मधुपुर में था और वहीं रात्रि विश्राम भी हुआ. बाद में वे लोग देवघर होते हुए चकाई और मुंगेर पहुंचे थे. इस दौरान देवघर के जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने रास्ते में भोजन भी दे दिया था और बटियाजंगल में रूक कर उनलोगों लोग भोजन भी किया. 1967 के विधानसभा चुनाव में जनसंघ से मुंगेर से रविश चंद्र वर्मा चुनाव लड़ रहे थे और वे विजयी भी हुए थे.
बरियारपुर के सुरेश बाबू के घर वाजपेयी ने बिताई रातःअटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी यात्रा के दौरान कई बार मुंगेर में रात्रि विश्राम भी किया. मुंगेर के तत्कालीन जनसंघ से जुड़े राधाकृष्ण अग्रवाल उर्फ मुन्नी बाबू और बरियारपुर के जनसंघ के विधायक सुरेश प्रसाद सिंह के घर वे ठहरे थे. सुरेश प्रसाद सिंह के पुत्र और बिहार सरकार के पूर्व ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार बताते हैं कि सन 1973 में वाजपेयी जी जब मुंगेर आये थे, तो उनके घर ही रात्रि विश्राम किया था.
पहली मंजिल पर वे रुके थे. अगले दिन बरियारपुर तीन बटिया चौक पर पिताजी के अनुरोध पर सुबह 6:00 बजे ही एक आमसभा हुई थी. जिसमें जनसंघ के शीर्ष नेताओं में एक जगदंबी बाबू सहित कई लोग मौजूद थे. भारी भीड़ के बीच जब वाजपेयी जी ने 45 मिनट तक भाषण दिया तो लोग काफी प्रभावित हुए. बरियारपुर के लोगों के जेहन में ये यादें आज भी जीवित हैं.
भाजपा प्रवक्ता अजफर शमसी से गहरा था नाताःतब के युवा और आज के भाजपा प्रदेश प्रवक्ता अजफर शमसी ने बताया कि उनको दो तीन बार अटल बिहारी वाजपेयी के करीब जाने का अवसर मिला था. राजीव गांधी की हत्या के बाद जब लोकसभा का चुनाव हुआ, तो उस समय मुंगेर से जमुई के इंद्रदेव भगत चुनाव लड़ रहे थे. उस समय दीया उनकी पार्टी का चिह्न था. उनका हवाई जहाज सफियाबाद में उतरने वाला था. उस समय हमारे जैसे युवा को वहां व्यक्तिगत सुरक्षा में तैनात किया गया था. जहाज से उतरते ही उन्होंने लोटा का डिमांड करते हुए कहा कि मुझे बड़ी संख्या नहीं लघु संख्या जोर की लगी है. तब मैने वहां मौजूद एक किसान से पानी भरा लोटा लेकर उन्हें दिया. वहां से वे सर्किट हाउस पहुंचे. जहां उनसे मुलाकात की तो उन्होंने माथा पर हाथ फेर कर मुझे आशीर्वाद दिया. उसके बाद टाउन हॉल में चुनावी सभा की मीटिंग में भाग लिया.
शमशी ने बताया कि जब भाषण देने की बारी आई और वाजपेयी साहब का नाम पुकारा गया, तब वो बोले इस युवा को क्यों छोड़ दिया. पहले यह भाषण देगा, फिर मैं. जब मैं भाषण खत्म कर अपने स्थान पर बैठ रहा था तो उन्होंने कहा कि मैं क्या बोलूं? तुमने तो सब कुछ बोल दिया और वह मेरी पीठ थपथपा कर भाषण देने डाइस पर चले गए. उन्होंने बताया कि उनसे ही प्रभावित होकर मैं भाजपा में अल्पसंख्यक होने के बाद भी आज तक बना हुआ हूं.
ये भी पढ़ेंःभारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर भाजपा दफ्तर में उत्सवी माहौल, कई कार्यक्रमों का होगा आयोजन
मदनपुर गांव से भी था बहुत प्रेमःस्वर्ण व्यवसाई द्वारिका प्रसाद वर्मा के पुत्र कृपाशंकर ने बताया कि उनके पिता के कारण दो बार बाजपेजी जी से मुलाकात हुई थी. उन्होंने कहा कि मेरे पिता से नजदीकी रहने के कारण 1967-1968 में पटना से उन्हें हवेली खड़गपुर जाना था. तब मेरे पिता ने उनको लाने के लिए अपनी बीआरएच-8111 नंबर की एंबेसडर कार भेजी थी. मुझे याद है कि जब वे पटना से उस कार से मुंगेर पहुंचे तो भगत सिंह चौक के पास रूके थे और वहां से घोषी टोला निवासी स्व. जगन्नाथ तिवारी के घर पर चाय पीने गये. वहां से वे संग्रामपुर प्रखंड के मदनपुर गए, उस समय मदनपुर गांव निवासी बालेश्वर प्रसाद सिंह सुमन, जो अकेले इस क्षेत्र के जनसंघ कार्यकर्ता हुआ करते थे, वहां वे रूके थे. सुमन स्वयं भी एक कवि, प्रसिद्ध चिकित्सक एवं संगीत की विधा में पारंगत थे. वाजपेयी जी गांव में जब आये थे तो गांव के शिव मंदिर में जाकर पूजा भी की थी. रात में वो लेगों के साथ बैठकर घटों बातचीत भी किया करते थे.
मुंगेर का गंगा पुल वाजपेयी की देनःमुंगेर के पूर्व सांसद एवं अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में सांसद रहे ब्रह्मानंद मंडल ने कहा कि वे 1991 से 1998 और 1999-2004 तक सांसद रहे. इस दौरान वाजपेयी जी को सुनने और समझने का नजदीक से मौका मिला. 1999-2004 का कार्यकाल प्रधानमंत्री के रूप में था और आज भी उन्हें याद है कि किस तरह उन्होंने मुंगेर गंगा पुल की स्वीकृति दे कर लोगों के सपने को पूरा किया था.
ब्रह्मानंद मंडल कहते हैं कि जब वे गंगापुल को लेकर अपनी बात उठा रहे थे, तो कुछ लोग नहीं चाहते थे कि पुल का मामला आगे बढ़े. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार के सांसदों की बैठक बुलायी और जहानाबाद के सांसद अरूण कुमार सिंह के साथ वे भी पहुंचे. उसी बैठक में उन्होंने पुल निर्माण की स्वीकृति दी थी और वर्ष 2002 में मुंगेर गंगा पुल का दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आधारशिला रखी गई थी. वास्तव में कई समस्याओं और विरोध के बावजूद गंगा पुल का साकार होना अटल बिहारी वाजपेयी जी का मुंगेर से खास लगाव को दर्शाता है.
ऐसी ही विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करेंETV BHARAT APP