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25 सितंबर से 10 अक्टूबर तक मनेगा परिवार नियोजन पखवारा - fortnight will be celebrated from 25 September to 10 October

देश में बढ़ती जनसंख्या लगातार कई तरह की समस्या बढ़ रही है. जन्म दर को नियंत्रित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसी के तहत परिवार नियोजन पखवारा मनाया जायेगा.

कक

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Published : Sep 19, 2021, 10:36 AM IST

मुंगेरःपरिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए आगामी 25 सितंबर से 10 अक्टूबर तक परिवार नियोजन पखवारा मनाया जाएगा. मुंगेर के सिविल सर्जन डॉ हरेंद्र कुमार आलोक पखवारा को जिले में सफल बनाने के लिए चिकित्सा अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. सिविल सर्जन डॉ हरेंद्र ने बताया कि 1952 में जन्म दर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से परिवार नियोजन कार्यक्रम की शुरुआत करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है.

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सिविल सर्जन डॉ हरेंद्र कुमार आलोक ने बताया कि परिवार नियोजन के विकल्प को अधिक से अधिक लोग अपनाएंगे तभी परिवार नियोजन पखवारा सफल होगा. लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है. नव दंपत्ति अपनी इच्छा अनुसार परिवार नियोजन के विकल्प को अपना सकते हैं. दो बच्चों के जन्म में अंतर होने से मां व बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहता है. अस्पताल व नवजात की देखरेख के खर्च भी बोझ नहीं बनते. परिवार नियोजन के विकल्प के रूप में गर्भ निरोधक गोलियां, पुरुष नसबंदी तथा महिला बंध्याकरण आदि है.

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राज्य सरकार ने परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत जनसंख्या नियंत्रण एवं मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी किया है. नसबंदी के प्रति महिला पुरुषों को प्रेरित करने वाले प्रेरकों की प्रोत्साहन राशि भी बढ़ा दी गई है. अब प्रसव के साथ ही नसबंदी कराने पर महिलाओं को 2200 रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी. वहीं पुरुषों को नसबंदी के लिए 2000 रुपए मिलेगा. प्रेरक को भी दी जाएगी 300 रुपए की राशि दी जायेगी. चिकित्सा विभाग ने पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए इसके प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी कर दी गई है. पहले जहां पुरुष नसबंदी पर 1100 रुपए मिलता था. अब 900 रुपए बढ़ाया गया है.

अब पुरुष नसबंदी कराने वाले को विभाग 2000 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगा. पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित करने पर प्रेरक को 300 रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी. पहले 200 रुपये प्रोत्साहन राशि मिलती थी.महिलाओं के अनुपात में पुरुषों में नसबंदी के प्रति अनिच्छा और झिझक के आंकड़ों से जुड़े चलन को दिखाते हैं. एनएफएचएस-4 में दर्ज़ आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान मे शादीशुदा महिलाओं (15-49 वर्ष के आयु वर्ग में) ने नसबंदी 40 प्रतिशत तक करा रही है, जबकि विवाहित पुरुषों में यह कम है.

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