मुंगेर:रविवार को पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया गया. इस मौके पर मुंगेर योग आश्रम की चर्चा ना करें तो बेमानी होगी. जिले को योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है. विश्व के 200 देशों में यहां से प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षक योग का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. 100 से अधिक देशों में इनकी शाखाएं हैं. कई देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के अलावे कई सेलिब्रिटीज यहां आ चुके हैं.
स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपने गुरु शिवानंद सरस्वती के इच्छा अनुसार वर्ष 1963 में उत्तरायण गंगा तट के किनारे पुराने कर्णचौड़ा वाले टीलेनुमा स्थान पर बिहार योग विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. मुंगेर के किला परिसर में पहाड़ी पर स्थित बिहार योग विद्यालय बहुत कम समय मे ही योग संस्कृति की धरोहर बनकर विश्व गौरव का प्रतीक बन गया. पतंजलि और गीता के योग दर्शन पर आधारित यह संस्थान विज्ञान, चिकित्सा और मनोविज्ञान का समन्वय कर आज योग की व्यवहारिक शिक्षा दे रहा है. विश्व के 150 देशों में इसकी शाखाएं हैं. योग को विश्व पटल पर लाने में इसकी विशेष भूमिका रही है.
गंगा दर्शन के नाम से जाना जाता है यह आश्रम
इस योग आश्रम को गंगा दर्शन के नाम से भी जाना जाता है. यहां 1 महीने के प्रमाण पत्र से लेकर डॉक्टरेड तक के योग पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं. यहां ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. आश्रम के अपने कायदे कानून हैं. सुबह 3:00 बजे से लेकर रात 8 बजे ही कार्य होते हैं. यहां आने वाले लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. बहुत पहले योग आश्रम को यूजीसी ने दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय की मान्यता देकर इसे अपनी प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत संचालित कराया. लेकिन आश्रम के नियमों को देखते हुए स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने यूजीसी से संबंध विच्छेद कर लिया.