मुंगेर:बिहार (Bihar) की कई नदियां इन दिनों उफान पर हैं. मुंगेर (Munger) में गंगा नदी (Ganga River) का जलस्तर खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर है. जिसके चलते जिले के एक हजार से अधिक गांव प्रभावित हैं. बाढ़ (Flood) के चलते लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं. लोगों के साथ-साथ मवेशियों के लिए भी खाने की समस्या हो गई है.
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गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने से जिले के सदर प्रखंड के कुतलूपुर, टीकारामपुर, शंकरपुर, महुली, बरदह, कटारिया पंचायत के गांव बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हैं. वहीं सबसे ज्यादा प्रभावित पंचायत टीकारामपुर एवं कुतलुपुर पंचायत है. जहां लगभग सभी घरों में पानी घुस गया है. इस कारण लोग मकान की छत पर या स्कूल की छत पर अनाज कीमती सामान के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
कुछ लोग तो जुगाड़ के सहारे जीवन जीने को मजबूर हैं. एक समय का खाना बनाकर दो समय खाते हैं. टिकरामपुर पंचायत के भेलवा दियारा जय मंगल पासवान टोला, बिंद टोला, करूं टोला में पिछले एक सप्ताह से लोगों के घरों में 5 फीट तक पानी घुसा हुआ है. इलाके के लोग पिछले 5 दिनों से घर के बाहर मचान बनाकर तो कोई स्कूल की छत पर जिंदगी जीने की जद्दोजहद कर रहा है.
जय मंगल पासवान टोला की सिया देवी को जब मचान और स्कूल की छत का सहारा नहीं मिला तो उन्होंने ट्रेक्टर को ही अपना आशियाना बना लिया. उन्होंने ट्रैक्टर के डाला में ही चूल्हा-चौका, बर्तन और घर के सामान रखकर उसी में 5 दिन से जिंदगी बिता रही हैं.
ईटीवी भारत ने जब जयमंगल पासवान टोला का निरीक्षण किया तो सिया देवी ने बताया कि घर के सभी सदस्य बाढ़ राहत शिविर में चले गए हैं. घर का बहुत सामान यहां है. इसलिए वो यहां रुक गई हैं. स्कूल की छत पर जगह भर गया है. मचान नहीं बना पा रही थी तो ट्रैक्टर के डाले में अपना आशियाना बना लिया. यह जमीन से लगभग 5 फीट ऊपर है. अब इसी पर खाना बनाते हैं. पांच दिनों से यही हमारा आशियाना है.