मुंगेर:बिहार के मुंगेर में खाद की किल्लत (Shortage of fertilizers in Munger) हो गई है. खाद नहीं मिलने से किसान रबी फसल की बुआई नहीं कर पा रहे हैं, वहीं कई किसानों को रबी की फसल बुआई कर देने के बाद खाद नहीं मिलने से फसल बर्बाद होने का डर सता रहा है. इसके लिए किसान मुंगेर में खाद के लिए मारामारी (Fight for fertilizer in Munger) कर रहे हैं. जिले के लगभग सभी प्रखंडों में किसान व्यापार मंडल के सामने सुबह 3 बजे ही खाद के लिए लाइन में लग रहे हैं.
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लेकिन, सभी किसान खुशकिस्मत नहीं होते हैं. शाम 5 बजे गोडाउन बंद होने के समय तक कई किसानों को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है. उस पर भी एक किसान को एक आधार कार्ड पर मात्र दो बोरा ही डीएपी और यूरिया खाद (DAP and Urea Fertilizer) दिया जाता है. इससे भी किसान काफी हलकान हो रहे हैं.
बात करें मुंगेर जिले के तारापुर प्रखंड की तो व्यापार मंडल के केयरटेकर नारायण पंडित का कहना है कि खाद की किल्लत वैसी नहीं है, जैसा किसान लाइन में लगकर दिखा रहे हैं. खाद की कालाबाजारी (Black Marketing of Fertilizers) बिचौलिया ना कर लें, इसके लिए ही आधार कार्ड सिस्टम लगाया गया है. ऐसे में किसान को थोड़ी परेशानी हो रही है, लेकिन खाद सभी को मिले इसके लिए यह सिस्टम लगाया गया है.
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तारापुर को धान का कटोरा कहा जाता है. धान की फसल कटाई के बाद रबी की फसल बोने के लिए किसानों ने खेत को तैयार कर लिए हैं. यहां दो पद्धति से खेती होती है. पहला बुवाई के पहले ही डीएपी और यूरिया खाद किसान खेत में डालते हैं. दूसरा कई किसान रबी की फसल बोने के 3 से 4 दिन के बाद डीएपी और यूरिया डालते हैं. ऐसे में बाजार में खाद की किल्लत होने से प्रखंड के दर्जनों गांव के किसान सीधे व्यापार मंडल खाद लेने के लिए पहुंच जाते हैं. खाद लेने के लिए लाइन में लगे महिला और पुरूष किसानों ने बताया कि वो 8 घंटे से लाइन में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं.