मुंगेरःलॉकडाउन के कारण दिव्यांगों की हालत भी खराब हो गई है. सरकारें जरूरतमंदों के लिए सहायता उपलब्ध करा रही है. लेकिन दिव्यांगों पर अब तक स्थानीय शासन प्रशासन और सरकार का ध्यान नहीं गया है. जिस कारण इनकी परेशानी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है.
जमीन पर चलता दिव्यांग बच्चा पिछले तीन महीनों से यह लोग बेरोजगार हैं. पहले छोटे-मोटे काम धंधे कर अपनी जिंदगी चला लेते थे. अब इन्हें सड़क पर निकलने पर लोग भिखारी समझते हैं और गांव में रहने पर लोग बेरोजगार कहते हैं. ऐसे में दोहरी मार झेल रहे दिव्यांगों की मांग है कि सरकार इन्हें भी सहायता दे.
सड़कों पर दिव्यांगों की भीड़ '400 रुपये दिव्यांग पेंशन से गुजारा नहीं चलता'
दिव्यांग शारीरिक रूप से लाचार होते हैं. फिर भी ये लाचारी को प्रकट नहीं करते स्वाभिमान के साथ जीने वाले यह दिव्यांग सरकार से आस लगाए बैठे हैं कि सरकार इन्हें भी मदद देगी. एक दिव्यांग सुजीत कुमार ने बताया कि हम लोग कोरोना संक्रमण काल के पहले छोटे-मोटे दुकान में काम कर या खुद की दुकान से अपनी जीविका चला रहे थे. पिछले 3 महीने से दुकान बंद है. घर में खर्च के लिए पैसे खत्म हो गए हैं. परेशानी बढ़ गई है. सिर्फ 400 रुपये दिव्यांग पेंशन से गुजारा करना मुश्किल हो रहा है.
'2 महीने से बंद पड़ी है चाय दुकान'
वहीं, मोनू कुमार कहते हैं कि हम पारिवारिक लोग हैं. घर में पत्नी और बच्चे हैं. पहले खुद की चाय दुकान चलाकर घर का खर्च निकाल लेते थे. पिछले 2 महीने से चाय दुकान बंद है. घर में रखी जमा पूंजी खत्म हो गई. अब तो भूखे मरने की नौबत है. सरकार हम लोगों को बीपीएल राशन कार्ड उपलब्ध करा दे. जिससे हम लोगों की भी आजीविका चलती रही. अभी तो सामाजिक या राजनीतिक कार्यकर्ता कुछ दे देते हैं तो घर में एक वक्त का भोजन बन पाता है.
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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान की मांग
दिव्यांग रामप्रीत चौधरी ने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 3 डिसमिल जमीन देकर हमें पक्का मकान बनाने की भी सुविधा दे. उन्होंने कहा कि यह मकान सभी विकलांगों के निजी नाम से हो. जिससे परिवार के अन्य सदस्य बाद में कोई परेशानी ना पैदा करें. दिव्यांगों ने एक स्वर में कहा कि सरकार के द्वारा अब तक हमें कोई विशेष सुविधा नहीं दी जा रही है. सरकार को हम लोगों पर अविलंब ध्यान देना चाहिए. सिर्फ 400 रुपये विकलांग पेंशन से गुजारा करना मुश्किल हो रहा है.