मुंगेर:बिहार पुलिस के सिपाहियों को जरूरत पड़ने पर गोली चलाना तो दूर राइफल कॉक करना भी नहीं आता. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बिहार पुलिस के डीआईजी का कहना है. बिहार में वली रहमानी के राजकीय सम्मान ( Vali Rahmani State Honors ) के साथ हो रहे अंतिम संस्कार में सिपाहियों की राइफल से गोली ही नहीं चली. डीआईजी ने मामले की जांच की. जांच के बाद दी गई रिपोर्ट में बिहार पुलिस के बारे में ऐसी ही टिप्पणी की गई है. डीआईजी ने इस मामले में 8 पुलिसकर्मियों को दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की है.
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मामला हजरत वली रहमानी से जुड़ा है. 5 अप्रैल को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ था. इस दौरान सलामी देने के लिए पुलिस के जवानों ने हवा में गोली चलाने की कोशिश की थी, लेकिन गोली नहीं चली थी. इसके चलते पुलिस विभाग की काफी फजीहत हुई थी. इस मामले के जिम्मेदारों पर मुंगेर के डीआईजी शफीउल हक ने आठ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है.
सिपाहियों को नहीं आता था गोली चलाना
ईटीवी भारत के संवाददाता से बातचीत में डीआईजी ने कहा "अंतिम संस्कार के वक्त सलामी देने के लिए खड़े सिपाहियों को देखकर साफ पता चल रहा था कि उन्हें गोली चलाना नहीं आता. वे राइफल में गोली तक नहीं भर पा रहे थे. उनके हाथ से गोली जमीन पर गिर रही थी. इन सिपाहियों ने सरकारी कार्यक्रम को हल्के में लिया, लेकिन मैं ऐसे मामले को हल्के में नहीं लेता."
10 में से 4 जवान की चला पाए थे गोली
डीआईजी ने कहा "पांच गोली से सलामी देनी थी. इसके लिए ब्लैंक कार्ट्रेज (खाली गोली) का इस्तेमाल किया जाता है. इसे चलाने पर सिर्फ आवाज निकलती है. गोली नहीं चलती. बाकी सबकुछ असली गोली जैसा होता है. सलामी देने के लिए पांच जवान को आगे खड़ा किया गया था. ऐसे मौके पर कई बार गोली नहीं चलती. इसके लिए पांच जवान को रिजर्व में पीछे खड़ा किया गया था. आगे खड़े पांच में से एक जवान ही गोली चला पाया. चार गोली नहीं चला पाए. इसके बाद पीछे खड़े जवानों से गोली चलवाई गई. इनमें से भी दो गोली नहीं चला पाए."