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मंजर की करें बेहतर देखभाल, आम की होगी भरपूर पैदावार- डॉ. मुकेश कुमार

आम के पेड़ में पर्याप्त और नियमित रूप से मंजर आ जाने पर फल-फूल को नियंत्रित करने में जैविक विधि से उपचार के अलावा हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इस पर खास ध्यान दें और बगीचे में नमी भी बनाए रखें.

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Published : Apr 7, 2021, 5:24 PM IST

Updated : Apr 7, 2021, 7:23 PM IST

आम के मंजर
आम के मंजर

मुंगेर:जिले में इस साल आम की पैदावार बेहतर होने के आसार हैं. छोटे-बड़े सभी आम के पेड़ों में पर्याप्त मंजर लगे हुए हैं. मंजर देखकर किसान काफी खुश हैं. लेकिन इन मंजरों में आम फले, इसके लिए उसकी समय पर देखभाल जरूरी है. आम के मंजर को कैसे बचाएं, इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र मुहिम चला रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मुकेश कुमार की ओर से किसानों को इसकी देखभाल के बारे में बताया जा रहा है.

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'आम का बेहतर उत्पादन किसान चाहते हैं तो अभी से देखभाल कर अधिक उत्पादन का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए आम के मंजर पर नीम के तेल का छिड़काव करें ताकि मंजर झरने जैसी समस्या उत्पन्न न हो.'- डॉ. मुकेश कुमार, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बगीचे में बनाए रखें नमी
आम के पेड़ में पर्याप्त और नियमित रूप से मंजर आ जाने पर फल-फूल को नियंत्रित करने में जैविक विधि से उपचार के अलावा हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इस पर खास ध्यान दें और बगीचे में नमी भी बनाए रखें, ताकि पर्याप्त जल जड़ों को मिल सके.

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वहीं, आम के पेड़ में जब मंजर टिकोला का शक्ल ले लेता है तो उसे ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है. आम के पेड़ के पास खरपतवार अगर रहते हैं तो मिट्टी से खरपतवार भी उर्जा लेते हैं. ऐसे में आम के पेड़ को कम ऊर्जा मिलती है. इसलिए खरपतवार को समय-समय साफ करते रहें और पेड़ के तने में फफूंद नाशक दवाई का भी छिड़काव करें.

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मधुआ रोग और इससे बचाव
डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि आम उत्पादक किसान पेड़ में लगने वाले मधुआ से इस बार सजग रहें. मधुआ रोग भुगना नामक छोटा स्लेटी और गहरे रंग का फुदकने वाला कीट है. यह छोटे बच्चे और वयस्क दोनों ही आम के मंजरों, नई शाखाओं और पत्तियों का रस पी जाता है.

आम के पेड़ में लगे टिकोले

इसके कारण मंजर सूख जाते हैं और फल भी सूखकर गिर जाता है. यह कीट एक चिपकने वाला मधु जैसा पदार्थ पैदा करता है. इससे पत्तियों पर काली फफूंद जम जाती है और पुरी पत्ती काली हो जाती है.

इससे बचाव के उपाय
कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक बताते हैं कि इस कीट से बचने के लिए कीटनाशी का छिड़काव अप्रैल से मई माह तक तीन बार किया जाना चाहिए. छिड़काव के लिए लेंबडा साई एलोथ्रीन एक एमएल प्रति लीटर या रोगर दो एमएल प्रति लीटर की दर से प्रति व्यस्क पेड़ 25 लीटर घोल बनाकर उससे मंजर और पेड़ की टहनी और डंठल, पत्ते पर भी इतना छिड़काव करें कि पूरा पेड़ भींग जाय.

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इसके साथ ही फफूंदनाशी सल्फर या साफ ढ़ाई ग्राम प्रति लीटर की दर से और प्लानोफिक्स साढ़े चार लीटर पानी में एक एमएल की दर से मिलाकर स्प्रे करना चाहिए. मंजर आने से जब मटर के बराबर दाने आ जायें तो इसका छिड़काव करें.

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पेड़ के नीचे थाल बनाकर करें सिंचाई
वहीं, इसके अतिरिक्त एक सफेद कीट चेबा या मुझिया होती है. जिसके दबने से पीला रस निकलता है. इसकी रोकथाम के लिए पेड़ के तने पर जमीन से एक फीट उंचाई पर ग्रीस लगाकर प्लास्टिक या पॉलिथिन लपेट दें. इससे यह कीट पेड़ पर नहीं चढ़ पाता है.

आम का बगीचा

इसके अतिरिक्त फाली डस्ट का 250 ग्राम डस्ट पेड़ के चारों ओर डालकर मिट्टी मिला दें तो इसका प्रकोप नहीं हो पता है. डॉ. कुमार ने बताया कि आम की बेहतर पैदावार लेने के लिए पेड़ के नीचे थाल बनाकर सिंचाई करें.

Last Updated : Apr 7, 2021, 7:23 PM IST

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