मधुबनी: उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर समेत कई इलाकों में चमकी या एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) का कहर जारी है. वहीं, जिले इस बीमारी का कहर एक परिवार पर कुछ यूं बरपा कि जागरूकता की कमी के बाद उन्हें एंबुलेंस मिली नहीं मिली. लिहाजा, एक पांच साल की बच्ची ने अपनी मां की गोद में ही दम तोड़ दिया.
मधुबनी जिले के बेलराही गांव में एक 5 साल की बच्ची की मौत चमकी बुखार की वजह से हो गई. ईटीवी भारत ने जब इस गांव के परिजनों से बच्ची की मौत को लेकर सवाल पूछे, तो बेहद ही आश्चर्यजनक जवाब मिले. परिजनों ने बताया कि उन्हें चमकी जैसी किसी भी बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
जिम्मेदार कौन?
- मृतक मासूम की मां लखिया देवी ने बताया कि उनकी 5 वर्षीय बच्ची शीला की हालत बुखार के कारण खराब होने लगी, तो उसे लेकर वो अनुमंडलीय अस्पताल झंझारपुर में पहुंची. यहां डॉक्टरों ने डांट कर उन्हें दरभंगा जाने को कहा.
- डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद डीएमसीएच दरभंगा रेफर कर दिया. साथ ही डॉक्टर ने डांटना-फटकारना भी करना शुरू कर दिया था.
- गरीब असहाय महिला को एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिली और ना ही वह प्राइवेट गाड़ी के माध्यम से दरभंगा जा पाई. इसके कारण बच्ची की मौत हो गई.
चिकित्सक ने उन्हें संदिग्ध चमकी बुखार का मरीज बताते हुए प्राथमिक उपचार के बाद डीएमसीएच दरभंगा रेफर कर दिया. बच्ची की मौत अनुमंडल अस्पताल से निकलने के कुछ समय बाद ही हो गई. क्योंकि वह गरीब महिला को एंबुलेंस की व्यवस्था अस्पताल प्रशासन ने नहीं की.
क्यों नहीं किया गया जागरूक
इस पूरे मामले के बाद से मां का रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं, सबसे बड़ा सवाल प्रशासन पर उठता है. जब अस्पताल प्रशासन को मालूम चल गया था कि बच्ची में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम जैसे पूरे लक्षण हैं, तो उन्हें एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करानी चाहिए थी. जहां एक तरफ पूरे बिहार में इस बीमारी ने 179 बच्चों को अपने आगोश में ले लिया है. वहीं, दूसरी तरफ मधुबनी प्रशासन क्यों सोया हुआ है. क्या उन्हें लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक नहीं करना चाहिए.