मधुबनीः जिले में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप की पूजा के साथ ही देर रात कालरात्रि की निशा पूजा की गई. इस पूजा का विशेष महत्व है. यहां हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है. नवरात्र में मां के 9 रुपों की पूजा की जाती है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से नवरात्र प्रारंभ होता है. शनिवार को नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की गई. मधुबनी में दोपहर बाद मां का पट खुलते ही दरबार में भक्तों का तांता लग गया. वहीं वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां दुर्गा की पूजा भी की गई. मां का पट खुलते ही महिला पुरुष सभी मां के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच गए.
मधुबनीः मां दुर्गा की निशा पूजा से पूरी होती है मनोकामना, जानें खास महत्व
निशा पूजा करीब 4 घंटों तक चलती है और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. पूजा के समय मां को बलि भी दी जाती है.
महारात्रि निशा पूजा का विशेष महत्व
9 दिनों के नवरात्र में शनिवार को मां कात्यायनी की पूजा की गई. महारात्रि निशा पूजा करीब 4 घंटों तक चलती है और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. पूजा के समय मां को बलि भी दी जाती है. इस महारात्रि निशा पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन तांत्रिक पद्धति से भी मां दुर्गा की पूजा होती है और मां सभी प्रकार के सिद्धों को परिपूर्ण करती है.
हर भक्त की मनोकामना होती है पूरी
वहीं, पंडित बाबू नारायण झा ने बताया कि मां भगवती की निशापूजा का विशेष महत्व है. साल में तीन रात्रि होती है. कालरात्रि, महारात्रि, मोहरात्रि, जिसमें ये कालरात्रि है. इस महारात्रि में मां की निशापूजा वैदिक मंत्रों के साथ किया जाता है. इसमें पूरे रात जागरण किया जाता है. सभी देवताओं और योगियों को आमंत्रण किया जाता है. लगभग 4 घंटे विधि विधानपूर्वक पूजा की जाती है. साथ ही कुमारी पूजन भी होता है. मां जगदम्बा की असीम कृपा से यहां हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है.