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बच्चों के लिये यहां शिक्षा लेना बना अभिशाप, बिना जमीन निबंधन के बना मॉडल स्कूल

स्थानीय लोगों का कहना है कि मधुबनी जिले के झंझारपुर अनुमंडल अंतर्गत व मधेपुर प्रखंड के बसिपट्टी पंचायत का यह एक मात्र हाई स्कूल भवन बनने जा रहा था. उस समय इस एरिया के लोगों में काफी खुशी का माहौल बना हुआ था. लेकिन अब इन लोगों को थोड़ा भी नहीं लगता है की हमारे बच्चे इस हाई स्कूल में कभी नामांकित होंगे.

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Published : May 12, 2020, 10:14 PM IST

मधुबनीः नीतीश कुमार की सरकार ग्रामीण इलाके के सुदूर क्षेत्र के बच्चों की भविष्य की निर्माण के लिये करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. जिससे आने वाले समय में बिहार में कोई भी आम नागरिक अशिक्षित नहीं रहे. इसके लिए उन्होंने शिक्षा विभाग को कई तरह से पहल करने के लिये प्रेरित किया है. लेकिन एक ग्रामीण सुदूर क्षेत्र में मॉडल हाई स्कूल का निर्माण कराया गया. जो कि 2014 ई. में ही विद्यालय के भवन निर्माण शुरू हो गया, मगर आज तक उसका निर्माण कार्य चल रहा है. अभी तक वो हाई स्कूल के भवन का निर्माण कार्य खत्म नहीं हुआ.

मॉडल हाई स्कूल का चल रहा निर्माण कार्य
स्थानीय लोगों का कहना है कि मधुबनी जिले के झंझारपुर अनुमंडल अंतर्गत व मधेपुर प्रखंड के बसिपट्टी पंचायत का यह एक मात्र हाई स्कूल भवन बनने जा रहा था. उस समय इस एरिया के लोगों में काफी खुशी का माहौल बना हुआ था. लेकिन अब इन लोगों को थोड़ा भी नहीं लगता है की हमारे बच्चे इस हाई स्कूल में कभी नामांकित होंगे. राज्य सरकार ने इस हाई स्कूल भवन को बनाने के लिये एक करोड़ पांच लाख रुपये निर्गत किया था.

स्कूल के लिए जमीन देने वाले भूमिदाता

सरकार का सारा पैसा बर्बाद
अब ऐसा लगता है कि सरकार का सारा पैसा बर्बाद हो गया, क्योंकि यह स्कूल के भवन को देखने से ऐसा लगता है कि अब यह शिक्षा का मंदिर नहीं, बल्कि आम लोगों के लिये जुआ का अड्डा बन गया है. क्योंकि जब हम इस हाई स्कूल की भवन को कैमरे में कैद कर रहे थे, तो कुछ बच्चे एक रूम में जुआ खेल रहे थे. बच्चे हमको देखते ही उठ कर खड़े हुए और भाग निकले. यह हाई स्कूल की भवन का निर्माण जिस जगह पर हुआ है. वो कोसी नदी के किनारे में है और कभी भी कोसी नदी का पानी स्कूल को बहा ले जा सकती है.

मॉडल हाई स्कूल का चल रहा निर्माण कार्य

आलाधिकारी नहीं करा रहे जांच
वहीं, एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि यह हाई स्कूल का भवन है और वर्षों से इसी हालत में है, जबकि सरकार की ओर से टेंडर की सारी पैसे संवेदक को दे दी गई थी और वह सारे पैसे लेकर रफू चक्कर हो गया. जिस जमीन पर हाई स्कूल भवन की निर्माण की गई थी. वो इसी पंचायत के एक दाता ने तीन एकड़ जमीन सरकार को दिया था कि इस स्लम एरिया है और यहां बच्चे पढ़ लिखकर देश का भविष्य बनाएंगे. इसके लिये उन्होंने जमीन सरकार को मौखिक रूप से दान देकर एक पुण्य का काम किया था. लेकिन 2014 ई. से सरकार के आलाधिकारी को बार-बार निबंधन करवाने के लिये प्रेरित करते रहे. मगर कोई इस जमीन का निबंधन का कार्य नहीं करवाया और यह हाई स्कूल का भवन अनलीगल रूप से बनाया गया.

देखें पूरी रिपोर्ट

हालांकि जो शिक्षक इसके चार्ज में है जब उनसे यह सवाल किया गया तो उन्होंने क्या बताया कि भूमिदाता सरकार के आलाधिकारी को दोषी मानते हैं कि उन लोगों ने अभी हमसे निबंधन नहीं करवाया और अनलीगल रूप से भवन को निर्माण कराया. साथ ही उन्होंने एक बात बोले कि हम भी सत्तादल में हैं, इसीलिये चुप है, नहीं तो यह आंदोलन करने वाली बात थी.

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