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इंडो-नेपाल बॉर्डर पर फंसे सैकड़ों भारतीय प्रवासी, भूख-प्यास से हालत खराब - corona in bihar

नेपाल से सैकड़ों की संख्या में प्रवासी भारतीय मधुबनी के इंडो-नेपाल बॉर्डर पर पहुंचे हैं. मजदूरों का कहना है कि वो कई किलोमीटर पैदल चलकर यहां तक आए हैं और अपने घर जाना चाहते हैं.

बिहार का मधुबनी बॉर्डर
बिहार का मधुबनी बॉर्डर

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Published : May 30, 2020, 3:05 PM IST

मधुबनी : जहां बिहार में कई राज्यों के प्रवासी मजदूर हर रोज वापसी कर रहे हैं. वहीं, इंडो-नेपाल बॉर्डर पर सैकड़ों प्रवासी फंसे हुए हैं. वो इस इंतजार में हैं कि कब बॉर्डर खुलेगा और वो अपने घर जा पाएंगे. पूरा मामला मधुबनी के हरलाखी थाना अंतर्गत जटही इंडो-नेपाल बॉर्डर का है. यहां सीमा पर तैनात जवानों ने प्रवासियों को रोक रखा है.

भारत-नेपाल सीमा के पिपरौन बॉर्डर पर शुक्रवार को नेपाल से बॉर्डर क्रॉस कर अपने अपने घर जाने के लिए सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूरों का जत्था पहुंचा. लेकिन इन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया गया. दूसरी ओर कुछ प्रवासी खुली सीमा के जरिए खेतों के रास्ते से बिहार में प्रवेश भी कर रहे हैं, जिन्हें एसएसबी के जवान कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर एहतियातन रोक रहे हैं.

मधुबनी से आलोक की रिपोर्ट

ये नहीं है अधिकृत मार्ग-एसएसबी
प्रवासियों को भारतीय सीमा पर तैनात एसएसबी ने अनाधिकृत रास्ता बताकर रोक दिया है. पिपरौन एसएसबी कंपनी इंचार्ज इंस्पेक्टर हंसराज वर्मा ने प्रवासियों को कहा कि लॉकडाउन के कारण बॉर्डर सील है. बिना प्रशासनिक अनुमति के प्रवासियों को भारतीय सीमा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. जिससे पूरे देश मे और कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है.

जवानों ने रोका

पैदल चलकर बॉर्डर पहुंचे मजदूर
प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ बॉर्डर खुलने के इंतजार में नदी किनारे रुके हुए हैं. प्रवासियों का कहना है कि नेपाल में जहां काम करते हैं, वहां खाना पीना नहीं मिल रहा है. नेपाल में भी लॉकडाउन के कारण दुकानें भी बंद हैं. यातयात भी बंद है. नेपाल से यहां बॉर्डर तक इतनी दूर पैदल काफी मुसीबतों का साथ पहुंचे हैं.

भारतीय सीमा तक पहुंच गए प्रवासी

पैदल चलते-चलते बच्चों और बुजीर्गों की हालत खराब हो चुकी है. कड़ी धूप में भूख और प्यास भी लग रही है. एसएसबी कमांडेंट शंकर सिंह ने बताया कि पिपरौन मार्ग अभी आवागमन के लिए अनाधिकृत है. केवल रक्सौल और जोगबनी बॉर्डर ही इसके लिए अधिकृत है.

नदी किनारे जमाया डेरा

ऐसे में रक्सौल और जोगबनी बॉर्डर यहां से कई किलोमीटर दूर पड़ता है. इसके चलते मजदूर इस आस में हैं कि कब मधुबनी का ये बॉर्डर खुलेगा और वो अपने घर जा सकेंगे.

बॉर्डर खुलने का इंतजार

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