मधुबनी: जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर जेई टीकाकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया. मौके पर डीआईओ डॉ एसके विश्वकर्मा ने बताया टीकाकरण अभियान के लिए जिलाभर में 4341 सत्र स्थलों का चयन किया गया है. जिसमें 5 लाख 78 हजार 447 बच्चों को प्रतिरक्षण करने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान में 479 एएनएम और 3 हजार 8 सौ 85 सेविका और आशा की सेवा ली जाएगी.
सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षकों को दिया गया निर्देश
जिला बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रश्मि वर्मा ने बताया सभी 21 प्रखंड के सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिका को इस अभियान की सघन पर्यवेक्षण करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सभी आंगनवाड़ी को कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए अपने अपने क्षेत्र के 1 से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों का प्रतिरक्षण करवाने का निदेश दिया गया है. इसके लिए घर-घर जाकर लोगों को जेई और अन्य टीका के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया गया. उन्होंने बताया कि सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिका को स्वास्थ्य विभाग के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर इस अभियान को सफल बनाने का निदेश दिया गया है.
5 साल तक के बच्चों को किया जाएगा प्रतिरक्षण
डीआईओ एस.के. विश्वकर्मा ने बताया टीकाकरण स्थल पर एक महीने में तीन सत्र का आयोजन कर 1 से 5 साल तक के बच्चों को जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका लगाकर टीकाकृत किया जाए. इसके लिए प्रत्येक सत्र पर 10 वायल जेई वैक्सीन दिया गया है. टीकाकरण के लिए शारीरिक दूरी का अनुपालन करना अनिवार्य होगा विद्यालय के संचालन प्रारंभ होने के बाद 5 साल से के उपर के बच्चों 15 साल तक के बच्चों का विद्यालय में अभियान चलाकर टीकाकृत किया जाएगा.
टीकाकरण प्रारंभ करने के लिए आवश्यक निर्देश
यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया टीकाकरण प्रारंभ करने के पूर्व टीकाकर्मी को प्रशिक्षण दिया गया है. टीकाकरण सत्र पर स्थाई और बाह्य टीकाकरण सत्रों पर जेई टीकाकरण संबंधित टैली सीट दिया गया है. सभी टीके का आंकड़ा इसी टेली सीट में संधारित किया जाएगा. नियमित टीकाकरण के लिए टैली में जेई के आच्छादित बच्चों के आंकड़े का संधारण नहीं किया जाएगा.
टीकाकरण सत्र पर जेई टीकाकरण कार्ड उपलब्ध कराया गया है. जिस बच्चे का टीकाकरण किया जाएगा उसे जेई टीकाकरण कार्ड दिया जाएगा अभियान में यूनिसेफ, एसएम नेट, डब्ल्यूएचओ, केअर इंडिया, पाथ एंद यूएनडीपी सक्रिय सहयोग दे रहे हैं. इस कार्यक्रम का सघन पर्यवेक्षण जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों करेंगे. कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाना है कचरे का निस्तारण सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियम अनुसार किया जाएगा.
क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस?
इन्सेफेलाइटिस को जापानी बुखार के नाम से भी जाना जाता है. यह एक प्रकार का दिमागी बुखार है जो वायरल संक्रमण के कारण होता है. यह संक्रमण ज्यादा गंदगी वाली जगह पर पनपता है साथ हा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है. हर साल बिहार समेत कई राज्यों में इस बिमारी के कारण नवजात शिशुओं के साथ बच्चों की मृत्यु हो जाती है.
जपानी इन्सेफेलाइटिस के लक्षण
जापानी इन्सेफेलाइटिस में बुखार होने पर बच्चे की सोचने, समझने, और सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है. तेज बुखार के साथ बार- बार उल्टी होती है. यह बिमारी अगस्त, सितंबर और अक्टूबर माह में ज्यादा फैलता है और 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है. कार्यशाला में यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा, चंचल कुमार, हामिद हुसैन, निशांत कुमार आदि मौजूद रहे.