मधुबनी:बिहार की मधुबनी पेंटिंग मिथिला पेंटिंग (Mithila Painting) के नाम से विश्व विख्यात है. जिले की सिक्की कला (Sikki Art) भी अब अपनी पहचान की मोहताज नहीं रही. मधुबनी जिले के पंडोल प्रखंड के रामपुर गांव के धीरेंद्र कुमार ने सिक्की कला को नई पहचान दिलाई है. सिक्की कला में काम करने के लिए धीरेंद्र को राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मान मिले हैं.
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धीरेंद्र 1986 से सिक्की कला का काम कर रहे हैं. सिक्की कलाकृति घास की एक खास प्रजाति कतरा से बनाई जाती है. घास के पत्तों को सुखाकर उसे गोंद से चिपकाकर कलाकृति का रूप दिया जाता है. इसकी उम्र काफी अधिक होती है. पानी और आग से बचाकर रखा जाए तो 200 साल तक इसे सुरक्षित रखा जा सकता है.
धीरेंद्र कुमार ने अपनी पूरी जिंदगी सिक्की कला के क्षेत्र में लगा दी है. उन्होंने अभी तक 4000 से अधिक लोगों को इसकी ट्रेनिंग दी है. अभी धीरेंद्र के साथ करीब 100 कलाकार काम कर रहे हैं. धीरेंद्र द्वारा बनाई गई कलाकृति देश के साथ विदेशों में भी पसंद की जा रही है. कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूएई सहित कई देशों में उनकी कलाकृति की मांग है.
धीरेंद्र कुमार अपने पूरे परिवार के साथ सिक्की कलाकृति बनाते हैं. उन्होंने गांव की महिलाओं को काम सिखाया है. बड़ी संख्या में महिलाएं सिक्की कला से जुड़ी हैं, जिससे उन्हें काम भी मिला है. इससे महिलाएं स्वावलंबी बनी हैं.
"मैंने सीता स्वयंवर थीम पर कलाकृति बनाई थी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेंट किया गया है. सिक्की कला के क्षेत्र में करियर बनाने की प्रेरणा मुझे अपने पिता जगत नारायण दास से मिली है. मैंने मिथिला पेंटिंग स्टाइल में कई सिक्की कलाकृति बनाई है, जिसे काफी पसंद किया गया." - धीरेंद्र कुमार, सिक्की कलाकार
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