मधुबनी: सियासी संग्राम के बाद बिहार के बाहर फंसे मजदूरों और छात्रों का वापस बिहार आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. लेकिन प्रदेश अंदर ही अन्य जिले में फंसे मजदूरों के लिए कोई मदद नहीं की जा रही. ऐसे में भूखे-बेबस लोग पैदल यात्रा कर अपने गृह जिला वापस आने को मजबूर है. किसी तरह का सरकारी मदद नहीं होता देख 6 मजदूरों ने नवादा से पैदल मधुबनी जाने का फैसला किया. बता दें कि मधुबनी से नवादा की दूरी लगभग 500 किमी है.
6 मजदूरों का जत्था नवादा से पैदल पहुंचा मधुबनी, सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप - cm nitish kumar
मजदूरों ने बताया कि काम बंद होने के कारण हमलोगों को मजदूरी मिलनी बंद हो गई. किसी ने भी मदद नहीं की. पैदल चलते-चलते पैरों में छाले पर गए हैं. बेबसी और लाचारी का शिकार था. इसलिए पैदल वापस जाने का रास्ता चुना.
![6 मजदूरों का जत्था नवादा से पैदल पहुंचा मधुबनी, सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप नवादा से पैदल पहुंचा मधुबनी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-7069690-707-7069690-1588675227855.jpg)
'ईंट-भट्ठे पर करते थे काम'
इसको लेकर मजदूर भोला सहनी और अमर सहनी ने बताया कि वे लोग धुबनी जिले के जयनगर अनुमंडल अंतर्गत रहने वाले हैं. हमलोग नवादा जिले में ईंट भट्ठे पर मजदूरी करते थे. लॉक डाउन की वजह से ईंट भट्ठे काम ठप हैं. ईंट भट्ठा मालिक ने एक महिने तक लॉकडाउन खुलने का इंतजार किया. उसके बाद हमलोगों को वहां से भगा दिया. हमसभी लोग अपने बल-बुते पर पैदल चलकर मधुबनी पहुंचे हैं.
'प्रशासन ने भी नहीं की मदद'
मजदूरों ने बताया कि काम बंद होने के कारण हमलोगों को मजदूरी मिलनी बंद हो गई. पैसे के अभाव में हमलोगों के खाने-रहने पर संकट मंडराने लगा. किसी ने भी मदद नहीं की. पैदल चलते-चलते पैरों में छाले पर गए हैं. भूख, बेबसी और लाचारी का शिकार था. इसलिए पैदल वापस जाने का रास्ता चुना. चार दिनों तक भूखे प्यासे रहकर सफर करता रहा. रास्ते में पुलिस वाले भी मिले. लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की.