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ग्राउंड रिपोर्टः चुनाव के शोर में दबकर रह गया बाढ़ पीड़ितों का दर्द, अब तक नहीं पहुंची मदद

आदर्श आचार संहिता के नाम पर किसी भी दल के नेता बाढ़ पीड़ितों की सुधी लेने नहीं पहुंच रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन भी चुनाव की तैयारियों में व्यस्त है.

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Published : Sep 28, 2020, 6:32 PM IST

मधेपुराः बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वहीं दूसरी तरफ कई जिलों में नदियां उफान पर हैं. जिससे लोग बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. ईटीवी भारत लगातार बाढ़ की स्थिति ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. हमारे संवाददाता जब मधेपुरा प्रखंड के सुखासन चकला पंचायत पहुंचे तो बाढ़ पीड़ितों का दर्द छलक उठा.

पलायन करने को मजबूर लोग
सुखासन चकला पंचायत में बाढ़ प्रभावित लोगों का दर्द चुनाव की शोर में दबकर रह गया है. यहां के लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. बच्चे से लेकर बूढ़े तक भूखे पेट अपने दिन और रात काट रहे हैं. बाढ़ का पानी घुसने से लोग अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थान की ओर पलायन करने को मजबूर हो गए हैं.

देखें रिपोर्ट

पानी में डूब गया सामान
बाढ़ पीड़ित मनोरमा देवी ने बताया कि घर में पानी घुस जाने से सब सामान बर्बाद हो गया. यहां तक की घर में रखा राशन भी पानी में डूब गया. उन्होंने बताया कि अब न तो उनके पास सर ढ़कने के लिए छत है और न ही भूख मिटाने के लिए भोजन है.

पानी में डूबा चूल्हा

नहीं की गई कोई व्यवस्था
स्थानीय मीरा देवी ने बताया कि कुछ लोग बांस का मचान बनाकर शरण लिए हुए हैं. वहीं, कई लोग अपने मवेशियों के साथ ऊंचे स्थान की ओर पलायन कर गए. उन्होंने बताया कि प्रशासन की तरफ से किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. नेता बस वोट मांगने के लिए आते हैं. संकट की इस घड़ी में कोई उनकी मदद के लिए नहीं आ रहा है.

घर में घुसा बाढ़ का पानी

लोगों की स्थिति दयनीय
मंत्री, विधायक और किसी भी दल के नेता आदर्श आचार संहिता के नाम पर बाढ़ पीड़ितों की सुधी लेने नहीं पहुंच रहे हैं. जिला प्रशासन भी चुनाव की तैयारी में मशगूल रहने के कारण लोगों की समस्याओं को नजर अंदाज कर रहा है. बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचे भाजपा के जिला उपाध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों की स्थिति बहुत ही दयनीय बनी हुई है.

लोगों को परेशानी

नहीं हुआ राहत सामग्री का वितरण
दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि डीएम से मिलकर पीड़ित लोगों को उचित राहत सामग्री दिलवाई जाएगी.उन्होंने कहा कि आपदा की घड़ी में आदर्श आचार संहिता का बहाना बनाकर राहत सामग्री नहीं देना गलत हैं. अब देखना होगा की प्रशासन के अधिकारी कब तक इन लोगों के बीच राहत सामग्री पहुंचाते हैं.

बाढ़ के पानी में डूबा चापाकल

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