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NRC को लेकर विपक्ष पर जमकर बरसे शाहनवाज हुसैन, बोले- भारत कोई धर्मशाला नहीं

शाहनवाज हुसैन ने कहा कि भारत में काफी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं. देश के संसाधन सीमित हैं, ऐसे में देश के संसाधनों पर पूर्णत: देशवासियों का हक है. अवैध ढ़ंग से रह रहे लोग देश के विकास में बाधक है.

एनआरसी के मुुद्दे पर बोले शाहनवाज हुसैन

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Published : Sep 20, 2019, 4:33 PM IST

मधेपुरा: जिले में एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि एनआरसी किसी खास राज्य के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है. देश के किसी भी हिस्से में घुसपैठिये होंगे, तो सरकार उन्हें बाहर करेगी.

'भारत कोई धर्मशाला नहीं'
विपक्ष पर जोरदार प्रहार करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं जो यहां आकर कोई भी रहने लगे. देश के संसाधनों पर देश के लोगों का अधिकार है. उन्होंने कहा कि हम भारत आने वाले अतिथियों का स्वागत करते है, लेकिन बगैर वीजा पासपोर्ट के देश में अवैध तरीके से रहने वाले को देश छोड़कर जाना ही होगा.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन

'देश में काफी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे'
शाहनवाज हुसैन ने कहा कि भारत में काफी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं. देश के संसाधन सीमित हैं, ऐसे में देश के संसाधनों पर पूर्णत: देशवासियों का हक है. अवैध ढ़ंग से रह रहे लोग देश के विकास में बाधक है. इसलिए ऐसे लोगों को देश से बाहर जाना ही चाहिए. उन्होंने कहा कि एनआरसी के मुद्दे पर हमारा वही स्टैंड है जो देश के गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा का है.

एनआरसी पर बोलते हुए शाहनवाज हुसैन

'देश को गाली देने वालों को सबक सिखाएगी जनता'
विपक्ष पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जब-जब भारत के पक्ष में बात होती है, तो कांग्रेस उस पर सवाल खड़े करने लगती है. सर्जिकल स्ट्राइक का हिसाब मांगा जाता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए आतंकवादियों का सबूत नहीं मांग रहा है, लेकिन विपक्ष और राहुल गांधी सबूत मांगते है. उन्होंने कहा कि लोग भाजपा को गाली दें, पीएम को गाली दें. लेकिन देश को गाली देने वाले को जनता सबक सिखाएगी.

पेश है एक रिपोर्ट

क्या है एनआरसी?
एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस, इसके मुताबिक जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नाम नहीं होता है, उसे अवैध नागरिक माना जाता है. यह 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था. फिलहाल, देश में असम इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है. असम में सिटिजनशिप रजिस्टर देश में लागू नागरिकता कानून से अलग है. यहां असम समझौता 1985 से लागू है और इस समझौते के मुताबिक, 24 मार्च 1971 की आधी रात तक राज्‍य में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा.

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